असंगठित क्षेत्र की महिलाओं का चौतरफा विकास किए बिना ‘सेवा आंदोलन’ सार्थक नहीं होगा 

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sadbhawnapaati
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स्वाश्रयी महिला सेवा संघ के स्थापना दिवस पर माई मंगेशकर सभागृह में मना उत्सव, इला बेन भट्ट पर केन्द्रित विशेषांक का लोकार्पण
इन्दौर। ‘सेवा’ आंदोलन जैसे अभियान को पूरे देश में फैलाने की जरुरत है। असंगठित क्षेत्र की महिलाओं का चौतरफा विकास किए बिना यह आंदोलन सार्थक नहीं होगा।
देश के 18 राज्यों में 21 लाख महिलाएं ‘सेवा आंदोलन’ से जुड़ी हैं, इनमें से अकेले मध्यप्रदेश की 6 लाख महिलाएं हैं। अब केवल सड़कों पर उतरकर हल्ला मचाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि बदलते समय के साथ नई तकनीक और कौशल से जुड़े विकास पर भी ध्यान देना होगा।
‘सेवा’ म.प्र. की संस्थापक मनोरमा जोशी ने रविवार को माई मंगेशकर सभागृह सेवा आंदोलन के 50 वर्ष एवं स्वाश्रयी महिला सेवा संघ के 37 वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह में ‘सेवा’ की राष्ट्रीय संस्थापक इला बेन भट्ट के जीवन वृत्त पर केन्द्रित  विशेषांक ‘अनुसूया’ का लोकार्पण करते हुए उक्त बातें कहीं।
इस मौके पर ‘सेवा’ के राष्ट्रीय बोर्ड की सदस्य श्रीमती मनाली शाह एवं ‘सेवा’ उत्तरप्रदेश की संस्थापक फरीदा जलीस भी विशेष रूप से उपस्थित थी, जिनका श्रीमती जोशी ने सम्मान किया। प्रारंभ में अतिथियों ने श्रीमती जोशी के साथ दीप प्रज्ज्वलन कर समारोह का शुभारंभ किया।
जूम एप की मदद से ‘सेवा’ की राष्ट्रीय अध्यक्ष रेनाना झाबवाला एवं इला बेन भट्ट ने भी इस समारोह से जुडकर बहनों से संवाद किया और आव्हान किया कि 21 लाख की सदस्य संख्या को 100 लाख तक पहुंचाएं और 100 साल तक इसी तरह साथ-साथ चलते रहें।
प्रारंभ में ‘सेवा’ की प्रदेश महामंत्री शिखा जोशी, मंत्री कविता मालवीय ने अतिथियों का स्वागत किया। राज्य के 10 जिलों की एक हजार से अधिक महिलाएं सभागृह में मौजूद थी। धार से आई आदिवासी महिलाओं की टोली ने भगोरिया एवं अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सबका मन मोह लिया।
संचालन शिखा जोशी ने किया और आभार माना कविता मालवीय ने। अंत में श्रीमती मनोरमा जोशी ने सभी बहनों को ‘सेवा’ को और मजबूत बनाने, अपने हकों के लिए आवाज उठाने और मातृशक्ति के चौतरफा विकास के लिए नई तकनीक एवं कौशल अपनाने का संकल्प दिलाया।
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।