देश पर अपनी जान न्योछावर कर देने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने हमेशा अपनी मां की ममता से ज्यादा भारत मां के प्रति अपने प्रेम को तवज्जो दी, भगत सिंह देश के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। फांसी से पहले भगत सिंह आखिरी बार अपनी मां से मिले थे।
तब उन्होंने ने अपनी मां विद्यावती से कहा था, ‘मेरा शव लेने आप नहीं आना और कुलबीर (छोटा भाई) को भेज देना, क्योंकि यदि आप आएंगी तो रो पड़ेंगी और मैं नहीं चाहता कि लोग यह कहें कि भगत सिंह की मां रो रही है।’ जेल में मिलने के लिए आने वाली अपनी मां से भगत सिंह अक्सर कहा करते थे कि वह रोएं नहीं, क्योंकि इससे देश के लिए उनके बेटे द्वारा किए जा रहे बलिदान का महत्व कम होगा।
असेंबली में बम फेंक अंग्रेजी हुकूमत को हिला दिया था
भगत सिंह ब्रिटिश सरकार की मजदूर विरोधी नीति से नाराज थे और इसे सेंट्रल असेंबली में पारित नहीं होने देना चाहते थे। सरकार को चेतावनी देने और उस तक अपनी आवाज पहुंचाने के मकसद से ही उन्होंने 8 अप्रैल 1929 को बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर सेंट्रल असेंबली में बम फेंका।
दोनों ने इस बात का ख्याल रखा कि घटना में कोई घायल न हो, लिहाजा बम खाली जगह फेंका गया। पूरा हॉल धुएं से भर गया था। भगत सिंह चाहते तो भाग सकते थे, पर उन्होंने खुद को गिरफ्तार करवाना बेहतर समझा। बम फटने के बाद उन्होंने इंकलाब जिंदाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद के नारे भी लगाए और अपने साथ लाए हुए पर्चे हवा में उछाल दिए। इसके कुछ ही देर बाद पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
एक रात पहले ही दे दी गई थी फांसी
23 मार्च 1931 को शाम 7 बजकर 33 मिनट पर ब्रिटिश सरकार ने भगत सिंह और उनके दो साथियों सुखदेव व राजगुरू को फांसी दी थी। फांसी 24 मार्च 1931 की सुबह दी जानी थी, लेकिन ब्रिटिश सरकार को माहौल बिगड़ने का डर था, इसलिए नियमों को दरकिनार कर एक रात पहले ही तीनों क्रांतिकारियों को चुपचाप लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी पर चढ़ा दिया गया।
शवों को अधजला छोड़ कर भाग गए थे अंग्रेज
अंग्रेजों ने 23 मार्च 1931 को इन तीनों वीर सेनानियों को फांसी पर लटका दिया था। इतिहासकारों की माने तो शवों के टुकड़े करने के बाद अंग्रेज उन्हें सतलुज के किनारे स्थित हुसैनीवला के पास ले गए थे। जब अमानवीय तरीके से उनके शवों को जलाया जा रहा था तो उसी दौरान वहां लाला लाजपत राय की बेटी पार्वती देवी और भगत सिंह की बहन बीबी अमर कौर सहित हजारों की संख्या में लोग पहुंच गए । जिसके चलते मौजूद अंग्रेज पुलिसकर्मी शवों को अधजला छोड़कर भाग गए।