डॉ गोपालदास नायक, खंडवा
दिनांक 27 सितंबर 2025 को नवरात्रि का छठवां दिन माँ कात्यायनी देवी की साधना को समर्पित है। माँ कात्यायनी शक्ति, साहस और न्याय की देवी मानी जाती हैं। उनका बीज मंत्र है—
ॐ कात्यायन्यै नमः॥
(अर्थात– हे माँ कात्यायनी, आपको नमन है। आप ऋषि कात्यायन की पुत्री रूपा हैं, जिन्होंने देवताओं की प्रार्थना पर असुर महिषासुर का संहार कर धर्म और सत्य की रक्षा की।) इस प्रकार यह मंत्र साधक के भीतर शक्ति, निडरता और धर्मरक्षण की प्रेरणा भरता है।
दार्शनिक दृष्टि से माँ कात्यायनी हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में केवल धैर्य और शांति ही नहीं, बल्कि अन्याय और अधर्म के विरुद्ध खड़ा होना भी आवश्यक है। वे यह संदेश देती हैं कि भय से मुक्त होकर सत्य और न्याय के लिए संघर्ष करना ही सच्चा धर्म है।
वर्तमान सामाजिक परिवेश में यह शिक्षा विशेष रूप से प्रासंगिक है। आज समाज भ्रष्टाचार, असमानता और हिंसा से ग्रसित है। लोग अक्सर सुविधा, स्वार्थ या भयवश चुप रहना पसंद करते हैं। परिणामस्वरूप अन्याय की जड़ें और गहरी होती जाती हैं। माँ कात्यायनी का स्वरूप हमें प्रेरित करता है कि हम मौन दर्शक न बनें, बल्कि साहस और विवेक से समाज में व्याप्त बुराइयों का विरोध करें।
नवरात्रि का छठवां दिन हमें यह स्मरण कराता है कि पूजा और मंत्रजप तभी सार्थक हैं, जब हम अपने जीवन में कात्यायनी देवी के आदर्शों को उतारें। साहस, न्याय और धर्म का पथ अपनाकर ही हम स्वयं को और अपने समाज को मजबूत बना सकते हैं। यही माँ कात्यायनी का वास्तविक संदेश है।