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सुप्रीम आर्डर :ज्ञानवापी में अगर शिवलिंग मिला है तो उसे सुरक्षित रखें, नमाज को न रोका जाए, निचली अदालत ने कोर्ट कमिश्नर को हटाया,अब 19 मई पर नजर 

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कराने के वाराणसी कोर्ट के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा निर्देश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परिसर में जिस जगह शिवलिंग मिला है, उस जगह को सुरक्षित रखा जाए।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि लोगों को नमाज अदा करने से रोका न जाए। सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की बेंच में हुई।

मुस्लिम पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे हुफैजा अहमदी से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह याचिका पूजा-अर्चना के लिए है, न कि मालिकाना हक के लिए। इस पर अहमदी ने कहा था कि ऐसे में वहां के हालात ही बदल जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हिंदू पक्ष को भी नोटिस जारी किया है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने निर्देश दिया- अगर शिवलिंग मिला है तो हमें संतुलन बनाना होगा। हम डीएम को निर्देश देंगे कि वह उस स्थान की सुरक्षा करें, पर मुस्लिमों को नमाज से न रोका जाए।

सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के 3 अहम पॉइंट

1. शिवलिंग के दावे वाली जगह को सुरक्षित किया जाए।

2. मुस्लिमों को नमाज पढ़ने से न रोका जाए।

3. सिर्फ 20 लोगों के नमाज पढ़ने वाला ऑर्डर अब लागू नहीं।

मुस्लिम पक्ष:सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे हुजैफा अहमदी ने कहा कि पूजा की जिस तरह मांग की गई है, इससे तो हालात ही बदल जाएंगे। अहमदी ने कहा कि इसी अदालत ने कहा था कि 15 अगस्त 1947 को जो धर्म स्थल जिस स्थिति में थे, उन्हें बदला नहीं जा सकता। इस तरह के ऑर्डर (वाराणसी कोर्ट) में साजिश की बहुत आशंका है।

उन्होंने कहा कि आप परिसर को सील कैसे कर सकते हैं। गैरकानूनी निर्देशों की झड़ी लगी हुई है। अगर आप परिसर को सील कर देंगे तो ये यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश का उल्लंघन होगा। आप लोअर कोर्ट के सभी फैसलों पर रोक लगाने का आदेश दें।

यूपी सरकारतुषार मेहता ने कहा कि वजूखाने में शिवलिंग मिला है, जो हाथ-पैर धोने की जगह है। नमाज की जगह अलग होती है। उन्होंने आगे कहा कि अगर नमाज पढ़ने की इजाजत दी गई तो शिवलिंग को नुकसान पहुंच सकता है। मेहता ने आगे कहा कि अगर किसी ने शिवलिंग पर पैर लगा दिया तो कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट : कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह मामला मालिकाना हक का नहीं है, पूजा करने की परमिशन मांगी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि हम आदेश देंगे कि आपने जो आवेदन दाखिल किया है, सिविल कोर्ट उसका जल्द निपटारा करे। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर शिवलिंग मिला है, तो उसे सुरक्षित रखा जाए। साथ ही नमाजियों को न रोका जाए। कोर्ट ने कहा कि 19 मई को अगली सुनवाई होगी। हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष दोनों शामिल रहे।

जज के शिवलिंग बोलने पर मुस्लिम पक्ष को ऐतराज
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जज ने शिवलिंग वाली जगह बोलने का इस्तेमाल किया तो, इस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि मामला अभी विवादित है। ऐसे में शिवलिंग मिलने वाली जगह न कहा जाए, जिसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम ऑर्डर में इसे इंडिकेट कर देंगे।

सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला, वहां ट्रायल कोर्ट ने एंट्री बैन की थी

  • वाराणसी कोर्ट के आदेश के बाद 3 दिन में सर्वे का काम पूरा हुआ है। वहीं, तीसरे दिन सोमवार को सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर के अंदर शिवलिंग मिला।
  • हिंदू पक्ष की अपील पर वाराणसी कोर्ट ने डीएम को आदेश दिया था कि जिस जगह शिवलिंग मिला है, उसे तत्काल सील कर दें। वहां पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित किया जाए।
  • कोर्ट ने डीएम, पुलिस कमिश्नर और सीआरपीएफ कमांडेंट को जगहों को संरक्षित और सुरक्षित रखने की व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदारी दी है। प्रशासन की टीम वहां पहुंची और 9 ताले लगाकर साक्ष्य को सील किया।
10 बड़ी बातों से समझिये 

1. सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद का कामकाज देखने वाली कमेटी ऑफ मैनेजमेंट अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्ह की पीठ ने कहा कि  मुस्लिम बगैर किसी बाधा के नमाज अदा करना जारी रख सकते हैं.

2. शीर्ष न्यायालय ने निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया जो ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े वाद की सुनवाई कर रहे हैं. न्यायालय ने याचिकाकर्ता हिंदू श्रद्धालुओं को नोटिस जारी किये और मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई के लिए 19 मई की तारीख निर्धारित की.

3. इसी दौरान वाराणसी की अदालत में भी ज्ञानवापी को लेकर सुनवाई चल रही थी. अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी—सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर (अधिवक्ता आयुक्त) नियुक्त किए गए अजय मिश्रा को पद से हटा दिया. सहायक एडवोकेट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह ने बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा को लापरवाही के आरोप में पद से हटा दिया है.

4. अधिवक्ता आयुक्त पद से हटाए गए अजय मिश्रा ने अपनी सफाई में कहा कि उनके साथ धोखा हुआ है और जो भी हुआ, उन्हें उसकी उम्मीद नहीं थी. उन्होंने कहा, “मैंने जिस फोटोग्राफर को रखा, उसने धोखा दिया है. मैंने जिस पर विश्वास किया, उससे मुझे धोखा मिला. इसमें मैं क्या कर सकता हूं.”

5. इस सवाल पर विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह ने उन पर असहयोग का आरोप लगाया है, मिश्रा ने कहा, “हो सकता है कि उनको लगा होगा. मेरे हिसाब से मैंने कोई असहयोग नहीं किया.” मिश्रा ने कहा, “आयोग की कार्यवाही विशाल सिंह के ही निर्देशन में हुई. अब विशाल जी का हृदय ही जानेगा और मेरा हृदय जानेगा कि मैंने उनका सहयोग किया है या नहीं.”

6. ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे के काम के लिए अदालत द्वारा नियुक्त विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्रा और सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह पर आयोग की कार्यवाही में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया था.

7. विशाल सिंह ने अदालत के सामने कहा, “अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा ने एक निजी कैमरामैन आर. पी. सिंह को वीडियोग्राफी सर्वे के लिए रखा था जो मीडिया में लगातार गलत बयान दे रहे थे. इसीलिए सिंह को कल आयोग की कार्यवाही से अलग रखा गया था.” जब कोई अधिवक्ता एडवोकेट कमिश्नर के रूप में नियुक्त किया जाता है तब उसकी स्थिति एक लोक सेवक की होती है और उससे यह अपेक्षा की जाती है कि वह कमीशन की कार्यवाही पूरी निष्पक्षता और ईमानदारी से करेगा जबकि अजय मिश्रा ने अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन बेहद गैर जिम्मेदाराना तरीके से किया.

8. अदालत ने सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के लिये दो और दिन का समय दिया है क्योंकि इलाके के नक्शे बनाने में कुछ समय लग रहा है. ऐसे में संभव है कि सर्वे रिपोर्ट 19 मई को अदालत में पेश की जाए. पहले यह रिपोर्ट 17 मई को ही पेश की जानी थी.

9. मुस्लिम पक्ष अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा पर पहले से ही पक्षपात का आरोप लगाता रहा है. उसने सात मई को सर्वे के दूसरे ही दिन मिश्रा पर आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की अर्जी अदालत में दी थी. हालांकि अदालत ने इसे नामंजूर करते हुए मिश्रा के सहयोग के लिये एक विशेष और एक सहायक एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति की थी.

10. गौरतलब है कि ज्ञानवापी—श्रृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कार्य सोमवार को पूरा किया गया था. सर्वे के अंतिम दिन हिन्दू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने में एक शिवलिंग मिला है. मगर मुस्लिम पक्ष ने यह कहते हुए इस दावे को गलत बताया था कि मुगल काल की तमाम मस्जिदों में वजूखाने के ताल में पानी भरने के लिये नीचे एक फौव्वारा लगाया जाता था और जिस पत्थर को शिवलिंग बताया जा रहा है, वह फौव्वारे का ही एक हिस्सा है.

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