एएनआई की खबर के मुताबिक आरोपियों में जिन चार लोगों की पहचान हुई है वे हैं चेन्नई में कार्ति चिदंबरम के निकट सहयोगी एस भास्कररमन, पंजाब के मनसा स्थित निजी कंपनी के प्रतिनिधि विकास मखाड़िया, मनसा में ही मेसर्स तलवंडी साबो पावर लिमिटेड के प्रतिनिधि, मेसर्स बेल टूल्स लिमिटेड मुंबई और अन्य में अज्ञात लोकसेवक और निजी व्यक्ति.
पिता के मंत्री रहते 50 लाख लेकर 263 नागरिकों को वीजा दिलवाया
सीबीआई के मुताबिक कार्ति चिदंबरम ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर पंजाब में बिजली कंपनी के लिए 263 चीनी नागरिकों को वीजा प्राप्त करने में मदद की.
अधिकारियों ने बताया कि कार्ति पर 2011 में 50 लाख रुपये की रिश्वत लेने के बाद चीनी नागरिकों को वीजा दिलवाने का आरोप है. उस वक्त कार्ति के पिता पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे.
अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने के बाद आज सुबह सीबीआई के दल ने दिल्ली और चेन्नई में चिदंबरम पिता-पुत्र के आवास समेत देश के कई शहरों में 10 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की. सीबीआई को भास्कररमन के कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव से 50 लाख रुपये के संदिग्ध लेन-देन के कुछ दस्तावेज मिले थे, जिसके आधार पर एजेंसी ने प्रारंभिक जांच दर्ज की थी. प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री उपलब्ध थी.
यह है आरोप
सीबीआई ने दर्ज केस में आरोप लगाया है कि पंजाब के मनसा स्थित तलवंडी साबो बिजली परियोजना के तहत 1980 मेगावाट का ताप बिजली संयंत्र स्थापित किया जाना था. संयंत्र स्थापित होने के दौरान इसे चीनी कंपनी को आउटसोर्स कर दिया गया.
आरोप लगाया गया है कि इस प्रोजेक्ट को समय से काफी पीछे कर दिया गया यानी प्रोजेक्ट को लंबा खींचा गया. देरी के कारण कार्रवाई से बचने के लिए मनसा ने ज्यादा से ज्यादा चीनी नागरिकों और प्रोफेशनलों को मनसा साइट पर लाने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक प्रोजेक्ट वीजा दिये. सीबीआई ने आरोप लगाया है कि बिजली कंपनी के प्रतिनिधि मखारिया ने कार्ति से अपने करीबी सहयोगी भास्कररमन के जरिए संपर्क किया.
उन्होंने उक्त चीनी कंपनी के अधिकारियों को आवंटित 263 प्रोजेक्ट वीजा के पुन: उपयोग की अनुमति देकर वीजा सीलिंग (कंपनी के संयंत्र के लिए अनुमेय परियोजना वीजा की अधिकतम संख्या) के उद्देश्य को विफल करने के लिए ‘पिछले दरवाजे’ का रास्ता तैयार किया.
मखारिया ने कथित तौर पर गृह मंत्रालय को एक पत्र सौंपा जिसमें इस कंपनी को आवंटित परियोजना वीजा के पुन: उपयोग के लिए मंजूरी मांगी गई थी, जिसे एक महीने के भीतर मंजूरी दे दी गई थी और कंपनी को अनुमति जारी कर दी गई थी.