54 साल पुरानी हो चुकी है नर्मदा की लाइनें, हर दिन कहीं न कहीं फूट रहीं 

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sadbhawnapaati
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 इंदौर। सत्तर के दशक में डाली गई नर्मदा की पाइपलाइन पचास से चौपन वर्ष पुरानी हो चुकी है। हर दिन कहीं न कहीं फूटती रहती है। यातायात पार्क गेट के पास रेसीडेंसी एरिया में कई बार लाइन फूटने पर सड़क पर बार-बार गड्ढे करना पड़ते हैं।

नर्मदा प्रोजेक्ट से जुड़े अफसरों का कहना है कि बार-बार लाइनें इसलिए फूूटती हैं कि ये कमजोर हो चुकी हैं। पचास साल से ज्यादा समय से पानी का प्रेशर झेलकर इनकी हालत खस्ता हो चुकी है। बार-बार जहां लिकेज हो या पानी फूटता हो वहीं रिपेयर कर दी जाती है।

अगर पूरी लाइन जलूद से इंदौर तक बदले। शहर सीमा में बदले तो अरबों रूपया खर्च होगा इसलिए जहां फूटती है वहीं रिपेयर कर दी जाती है।

यह बात भी सही है कि सड़कें खोदने व गड्ढे बंद करने में हर बार लाखों रूपया बर्बाद होता है लेकिन मजबूरी है इसलिए यह करना ही पड़ता है। लोगों को कई बार 24 से 48 घंटे पानी नहीं मिलता है लेकिन कुछ नहीं किया जा सकता है।

नर्मदा की पाइप लाइनें हृयूम पाइप खराब होने से बदलना जरूरी है। अब तक बीआरटीएस, अन्नपूर्णा रोड, एमओजी लाइंस, माणिकबाग, लालबाग रोड, महूनाका, बियाबानी, मिल क्षेत्र में पाइप लाइनें ज्यादा फूटी है।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।