इंदौर। सत्तर के दशक में डाली गई नर्मदा की पाइपलाइन पचास से चौपन वर्ष पुरानी हो चुकी है। हर दिन कहीं न कहीं फूटती रहती है। यातायात पार्क गेट के पास रेसीडेंसी एरिया में कई बार लाइन फूटने पर सड़क पर बार-बार गड्ढे करना पड़ते हैं।
नर्मदा प्रोजेक्ट से जुड़े अफसरों का कहना है कि बार-बार लाइनें इसलिए फूूटती हैं कि ये कमजोर हो चुकी हैं। पचास साल से ज्यादा समय से पानी का प्रेशर झेलकर इनकी हालत खस्ता हो चुकी है। बार-बार जहां लिकेज हो या पानी फूटता हो वहीं रिपेयर कर दी जाती है।
अगर पूरी लाइन जलूद से इंदौर तक बदले। शहर सीमा में बदले तो अरबों रूपया खर्च होगा इसलिए जहां फूटती है वहीं रिपेयर कर दी जाती है।
यह बात भी सही है कि सड़कें खोदने व गड्ढे बंद करने में हर बार लाखों रूपया बर्बाद होता है लेकिन मजबूरी है इसलिए यह करना ही पड़ता है। लोगों को कई बार 24 से 48 घंटे पानी नहीं मिलता है लेकिन कुछ नहीं किया जा सकता है।
नर्मदा की पाइप लाइनें हृयूम पाइप खराब होने से बदलना जरूरी है। अब तक बीआरटीएस, अन्नपूर्णा रोड, एमओजी लाइंस, माणिकबाग, लालबाग रोड, महूनाका, बियाबानी, मिल क्षेत्र में पाइप लाइनें ज्यादा फूटी है।