गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर दिखाई देगी स्वदेश में निर्मित हथियारों की ताकत

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sadbhawnapaati
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नाग मिसाइल के-9 वज्र आर्टेलरी गन एयर डिफेंस आकाश
नई दिल्ली। जमीन पर आमने-सामने की जंग में टैंक सबसे घातक हथियार साबित होते हैं। दुश्मन के टैंकों को निशाना बनाने के लिए नाग मिसाइल अब पूरी तरह से तैयार है। गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ से आत्मनिर्भर भारत की ताकत जब दुनिया को दिखाई जाएगी तब उसमें भारतीय मैक इन्फेंट्री की एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल नाग आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र होगा।
इसके पहले नाग मिसाइल को डेवलपमेंट फेज के दौरान डीआरडीओ ने शोकेस किया था लेकिन यह पहला मौका होगा जब इस मिसाइल की यूजर यानी थलसेना इसके साथ दिखेगी। यह नाग मिसाइल पूरी तरह से स्वदेशी है और पहली बार कर्तव्य पथ पर सुप्रीम कमांडर को सैल्यूट करेगा। इस मिसाइल की खास बात यह है कि इस बीएमपी 2 कैरियर पर लगाया गया है और इस ‘नामिका यानी नाग मिसाइल कैरियर का नाम दिया गया है।
इसकी खास बात यह है कि एक फायर एंड फार्गेट टॉप अटैक तकनीक पर आधारित है यानी कि एक बार निशाना साधने के बाद इस फायर किया जाएगा तो ये किसी भी मूविंग टार्गेट पर सटीक मार करेगा और मिसाइल टैंक के सबसे कमजोर हिस्सा टरेट को आसानी से भेद देगा। ये मिसाइल 4 किलोमीटर दूर तक किसी भी टैंक के परखच्चे उड़ा सकता है।
इसके अलावा ये मिसाइल लॉक ऑन तकनीक से भी लैस है यानी कि एक बार मिसाइल लांच किए जाने के बाद भी टार्गेट को लॉक किया जा सकता है। पिछले साल ही रक्षा खरीद समिति ने कुल 13 नामका कैरियर और 443 नाग मिसाइल की खरीद को मंज़ूरी दी है। फिलहाल ये निर्माण प्रक्रिया में है और जल्द ही मैकेनाइज्ड इंफ्रेंटी का हिस्सा होगी।
अभी तक सेना दूसरी पीढ़ी के फ्रैंच एटीजीएम मिलन 2टी जिसकी मारक क्षमता 3 किलोमीटर और रूसी एटीजीएस कांकुर जिसकी मारक क्षमता 4 किलोमीटर है। ये दोनों एटीजीएम लाइसेंस प्रोडक्शन के तहत देश में बीडीएल बना रही है। स्वदेशी नाग को डीआरडीओ ने तैयार किया है और इसका प्रोडक्शन डीफेस पीएसयू भारत डायनैमिक लिमिटेड ही कर रही है। इस नाग मिसाइल के विकास में बीस साल का वक्त लगा और अब जो प्रोडक्ट निकलकर आया है वहां टार्गेट पर 90 फीसदी तक सटीक मार कर सकती है।
इस बार 26 जनवरी के दिन कर्तव्य पथ पर जिन स्वदेशी सैन्य उपकरण को शोकेस किया जा रहा है उनमें के-9 वज्र आर्टेलरी गन भी शामिल है। दिखने में टैंक जैसा ये सिस्टम खरीदा तब पाकिस्तान को ध्यान में रखकर गया था लेकिन चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में तनाव के दौरान उन्हें वहां भी तैनात किया गया। ये कोरियन गन अब देश में ही निर्मित हो रही है। सेना के लिए शुरुआत 100 गन खरीदी गई जो उस मिल भी गई। वहीं एलएसी पर चीन को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त 100 गन ली जा रही है।
इस के-9 गन की मारक क्षमता शानदार है और ये फायर करने के बाद तुरंत अपनी जगह बदल लेता है जिसके चलते दुश्मन के जवाबी वार से भी बच जाता है। यह गन 40 किलोमीटर तक दुश्मन के किसी भी ठिकाने को ध्वस्त कर सकती है। स्वदेशी मेन बैटल टैंक जो न सिर्फ दुश्मन के टैंक को आसानी से ध्वस्त कर सकती है बल्कि लो फ्लाइंग एरियल टार्गेट से भी आसानी से निपटने के लिए एंटी एयरक्राफ़्ट गन से लैंस है और ये किसी भी टेरेन में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।
कर्तव्य पथ पर 30 एमएम कैनन और इन्फैंट्री कॉम्बेट व्हीकल बीएमपी -2 भी इस बार स्वदेशी ताकत को दर्शाएगा। वहीं दुनिया की सबसे खतरनाक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का लैंड वर्जन भी इस बार कर्तव्य पथ पर होगा।
भारत और रूस के ज्वाइंट वेंचर से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को डेवलप किया गया था और अब भारतीय सेना के तीनों अंग में इस शामिल किया जा चुका है। यह मिसाइल दुश्मन के इनडेप्थ टार्गेट को निशाना बना सकते हैं और दुश्मन के रडार भी इस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल को पकड़ नहीं सकती है।
इसके अलावा सेना का एयर डिफेंस आकाश मिसाइल सिस्टम भी कर्तव्य पथ पर मौजूद रहेगा। जमीन से हवा में मार करने वाली ये मिसाइल 30 किलोमीटर दूर से आने वाले किसी भी क्रूज़ मिसाइल एयरक्रफ्ट और मिलिट्री ड्रोन को निशाना बना सकती है। अभी डीआरडीओ इस एयर डिफेंस सिस्टम की मारक क्षमता को बढ़ाने और अपग्रेड करने पर काम कर रही है।
वहीं बढ़ती चुनौतियों से पार पाने के लिए स्वदेशी शॉर्ट स्पैन ब्रिज सिस्टम भी कर्तव्य पथ पर होगा। यह सेना के किसी भी मूवमेंट को नदी-नाले ऊबड़ खाबड ज़मीन पर और आसान बना देगा। ये ब्रिज चंद मिनट में ही बनकर तैयार हो जाता है और इसके ऊपर से भारी भरकम टैंक बीएमपी और अन्य सैन्य उपकरण गुजर सकते हैं। इसके अलावा मोबाइल नेटवर्क सेंटर क्विक रियेक्शन फ़ोर्स व्हिक्ल भी शामिल है।
कह सकते हैं कि कर्तव्य पथ पर फ़ुल बैटल पैकेज का स्वदेशी वर्जन दिखेगा जो कि न सिर्फ दुश्मन को हमारी फायर पावर से रूबरू कराएगी बल्कि तकनीक के तौर पर यह संदेश भी देगी कि भारत अब अपनी सैन्य जरूरतों के लिए किसी दूसरे देशों पर निर्भर नहीं।
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