- स्ट्रीट डॉग के खाने के लिए नहीं कोई फंड
- तीन गुना बढ़ी डॉग बाईट की संख्या – आशुतोष शर्मा लाल अस्पताल
विनय वर्मा
Indore News in Hindi। स्मार्ट और मेट्रो सिटी के शहरवासी हर रोज आवारा श्वानों के आतंक के कारण डर डर कर जीने को मजबूर है। अकेले, अक्टूबर माह के सिर्फ 23 दिनों में 2562 लोगों को स्ट्रीट डॉग्स यानी आवारा श्वान नोच, खसोट और काट चुके है। मतलब, आवारा श्वान हर रोज चलते फिरते शहरवासियों पर अचानक हमला कर उन्हें अपना शिकार बना कर घायल करते आ रहे हैं। इलाज कराने वाले घायलों में बच्चों से लेकर युवा, वृद्ध सभी उम्र के पीड़ित शामिल हैं।
इंदौर के सरकारी लाल अस्पताल में 1 जनवरी से अब तक यानी इस साल 272 दिनों में 29 अक्टूबर तक 34 हजार 675 श्वान पीड़ित लोग अपना इलाज कराने आ चुके हैं। यह आंकड़े शहर के सिर्फ 1 सरकारी लाल अस्पताल के ही हैं इसके अलावा शहर सहित इंदौर जिले के स्वास्थ्य केंद्र और सरकारी अस्पतालों और निजी अस्पतालों में श्वान से पीड़ित कितने लोग इलाज कराने पहुंचे इसका जिला स्वास्थ्य विभाग के पास आज तक कोई भी व्यवस्थित रिकार्ड नहीं है।
मगर इस मामले में संबंधित विभागों के अफसर और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि सालों से गहरी चुप्पी साधे हुए हैं। श्वान पीड़ितों के परिजनों का अपने पार्षदों, विधायकों सहित अन्य जनप्रतिनिधियों से यही सवाल है कि यदि श्वानों ने उनके परिजनों को नोचा खसोटा काटा होता तो क्या तब भी ऐसे ही खामोश रहते?
डरावने हैं स्ट्रीट डॉग के काटने के घायलों के आंकड़े
श्वान पीड़ितों के यह आंकड़े वाकई में बहुत डराने वाले तो है ही, इसके अलावा यह देश के नम्बर वन साफ स्वच्छ वाले शहर यानी स्मार्ट सिटी की असुरक्षित विकास की पोल उजागर करने वाले है। लाल अस्पताल में श्वान पीड़ितों का इलाज करने वाले डॉक्टर्स का कहना है कि इन आंकड़ों में 90 प्रतिशत इंदौर शहर के पीड़ितों की संख्या शामिल है। डॉक्टर्स के अनुसार इस गम्भीर समस्या के लिए श्वानों की नसबंदी का जिम्मेदार नगर निगम है जो करोड़ों रूपये लेकर नसबंदी के फर्जी आंकड़े बना कर सबको गुमराह करता रहता है।
एक जनवरी से 22 अक्टूबर तक के आंकड़े
इस साल जनवरी 2023 से लेकर 22 अक्टूबर तक जितने शहर वासियों को आवारा श्वानों ने शिकार बनाया उनका रिकॉर्ड इस प्रकार है।
माह | जनवरी | फरवरी | मार्च | अप्रेल | मई | जून | जुलाई | अगस्त | सितम्बर | अक्टूबर |
पीड़ित | 4068 | 3764 | 3883 | 3668 | 3882 | 3409 | 3166 | 3226 | 3047 | 2562 |
इस तरह जनवरी से अक्टूबर तक श्वान पीड़ितों की संख्या 34,675 है। इस साल 2023 में जनवरी से 22 अक्टूबर तक कुल 272 दिन होते हैं। गणित के हिसाब से हर रोज मतलब 1 दिन में 118 से ज्यादा लोग श्वानों का शिकार बन रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
शहर में लगातार बढ़ रही आवारा श्वानों की समस्या के लिए नगरनिगम के नसबंदी विभाग को जिम्मेदार बताने वाला स्वास्थ्य विभाग खुद भी कम लापरवाह नही है। जिला स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी बीएस सैत्या स्वास्थ्य केंद्र और सरकारी अस्पतालों सहित प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराने वाले श्वान पीड़ितों की आंकड़े की जानकारी मीडिया से छुपाते आ रहे हैं।
नसबंदी के आंकड़ों का मजाक उड़ाते आवारा श्वानों के सेंकडो झुंड
शहर में श्वानों की बढ़ती बेहिसाब संख्या पर लगाम लगाने के खातिर यानी एनिमल बर्थ कंट्रोल के लिए नगरनिगम और अनुबंधित एनजीओ को एक श्वान की नसबंदी के लिए लगभग 925 रुपये मिलते है। निगम के अनुसार अब तक 1 लाख 70 हजार से ज्यादा श्वानों की नसबंदी कर चुका है मगर शहर में आवारा श्वानों के सेंकडो झुंड निगम के आंकड़ों का मजाक उड़ाते नजर आते हैं। स्वास्थ्य और निगम के अधिकारियों के अनुसार श्वानों के खिलाफ उन्हें सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन करते हुए ही कार्रवाई करना होती है।
देश की एक मात्र निकाय है इंदौर जहां स्ट्रीट डॉग की नसबंदी की
चिड़िया घर प्रभारी उत्तम सिंह ने बताया कि स्ट्रीट डॉग के काटने का सबसे बड़ा कारण भूख है, दूसरा कारण मेल और फिमेल डॉग के मिलन और उन पर अधिकार के कारण भी काटने की घटना इन दिनों कुछ बढ़ जाती है। इसके अलावा कुछ घटनायें श्वानों को कुछ लोगों द्वारा परेशान करने पर भी होती है हालांकि इस प्रकार की घटनाएं कम ही होती है।
एक सवाल के जवाब में डॉ. उत्तम सिंह ने बताया कि स्ट्रीट डॉग के खाने के लिए किसी विभाग में कोई फंडिंग नहीं मिलती है जबकि इनके लिए शेल्टर होम बनाना चाहिए और उनके खाने की व्यवस्था भी होनी चाहिए ताकि इस प्रक्रार की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके, इसके साथ ही समाजसेवी संस्थाओं और एनजीओ को भी आगे लाना होगा साथ ही लोगो में जागरुकता के लिए बड़े स्तर पर अभियान भी चलाना होगा तब कहीं जाकर इनकी बढ़ती संख्या पर कंट्रोल किया जा सकता है। डॉ. सिंह ने बताया कि स्ट्रीट डॉग की नसबंदी करने वाला इंदौर नगर निगम देश की पहली निकाय जहां इस प्रकार का अभियान चलाया गया है और रिकार्ड एक लाख सत्तर हजार श्वानों की नसबंदी की है।
स्ट्रीट डॉग के खाने के लिए नहीं कोई फंड
स्वास्थ्य अधिकारी बी एस सैत्या के अनुसार शहर में लगभग तीन लाख से ऊपर स्ट्रीट डॉग की संख्या है जिसके कारण शहर में डॉग बाइट की घटनाएं लगातार बढ़ गई हैं लोग सिर्फ लाल अस्पताल में ही इलाज के लिए आ रहे हैं जबकि शहर में 38 से अधिक डिस्पेंसरी उपलब्ध है लेकिन डॉग बाइट के घायल वहां जाने से कतराते हैं।
उन्होंने बताया कि श्वानों के काटने की अधिकतम घटनाएं भूखे होने के कारण होती है। फ़िलहाल किसी विभाग के पास स्ट्रीट डॉग के खाने के लिए किसी भी प्रकार का कोई फंड नहीं है जिसके कारण सड़कों पर घूमने वाले श्वानों को खाने की परेशानी हो रही है इसका एक कारण यह भी है कि शहर में अब लोग कचरा और अतिरिक्त खाना सड़क पर डालने की बजाए अब कचरा गाड़ियों में डाल रहे हैं इस कारण भी सड़क पर श्वानों को भोजन नहीं मिल पा रहा है।
डॉक्टर आशुतोष शर्मा ने कहा है कि इसके लिए शासन को उच्च स्तरीय कदम उठाने होंगे श्वानों के लिए एनजीओ और समाज सेवी संस्थाओं में जागरूकता अभियान चलाकर शेल्टर होम और उनके खाने की व्यवस्था करनी होगी वहीं चिड़ियाघर प्रभारी डॉ उत्तम सिंह यादव ने बताया कि इंदौर नगर निगम द्वारा लगातार स्ट्रीट डॉग की नसबंदी करने से शहर में श्वानो की बढ़ती हुई संख्या पर रोक लगी है और अब इनकी प्रजनन पर लगभग अस्सी फीसदी की कमी आई है यदि इस प्रकार का अभियान नहीं चलाते तो शहर में कितने श्वान पैदा हो जाते लोगों का सड़क पर चलना भी दुभर हो जाता।