आज अन्नदाता कृषि कानून विरोध के 6 माह पूरे होने पर मना रहे ‘काला दिवस’

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दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों का बुधवार को छह महीना पूरा हो गया। बुधवार को ही मौजूदा केंद्र सरकार को लगातार सत्ता में बने 7 साल पूरे हो गए। बुद्ध पूर्णिमा के इस मौके पर किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ अपने विरोध के स्वर को फिर से तेज करने का ऐलान किया है। किसान इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाएंगे। संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं ने कहा है कि उन्हें डराकर और थकाकर डिगाया नहीं जा सकता। जब तक सरकार उन पर दर्ज सभी मुकदमे वापस नहीं लेती और उनकी सभी मांगों को नहीं मान लेती वह दिल्ली की सीमाओं से वापस नहीं जाएंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी बात को साझा करते हुए कहा है कि किसानों ने दिल्ली समेत सभी धरना स्थलों पर बुद्ध पूर्णिमा पर्व मनाने की घोषणा की है। धरना स्थलों पर काले झंडे लगाकर और सरकार के पुतले जलाकर विरोध करने की तैयारी है। संयुक्त किसान मोर्चा नेता बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हनन मौला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उग्राहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहाड़ के नाम से जारी की गई प्रेस वार्ता में कहा गया है कि किसान सत्य और अहिंसा के दम पर अपना आंदोलन आगे बढ़ा रहे हैं। लेकिन भाजपा नीत केंद्र सरकार किसानों के इस आंदोलन को कई बार हिंसक रंग देने का प्रयास करती रही और हमेशा विफल हुई। किसानों ने सत्य के दम पर अपने आप को मजबूत रखा है। इसी ताकत के दम पर किसान अपने आंदोलन को सफल होने तक जारी रखेंगे।

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संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि 26 मई 2014 को पहली बार मोदी सरकार बनी। तब से इन 7 सालों में सरकार ने किसानों, मजदूरों, गरीबों, दलितों, महिलाओं, आदिवासियों, छात्रों, युवाओं, छोटे व्यापारियों और सामान्य नागरिकों के खिलाफ फैसले किए। 26 मई 2021 को मोदी सरकार के 7 साल होने पर संयुक्त किसान मोर्चा इसे विरोध दिवस के रूप में मनाएगा।
सड़क पर विरोध प्रदर्शन करने की अपील
संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 मई को किसानों, मजदूरों, युवाओं, छात्रों, कर्मचारियों, लेखकों, चित्रकारों, ट्रांसपोर्टरों, व्यापारियों और दुकानदारों सहित सभी वर्गों के लोगों से सड़क पर उतरकर विरोध करने की अपील की है। सभी पक्के मोर्चों पर पुरुष काली पगड़ी और महिलाएं काली चुन्नी पहनकर विरोध करेंगी। काले झंडे लगाकर और सरकार के पुतले जलाकर तीनों कृषि कानूनों, बिजली संशोधन विधेयक 2020 और प्रदूषण अध्यादेश का विरोध किया जाएगा।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।