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प्रो कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि राष्ट्रीय महत्व के संस्थान, नैक यानी नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडेशन काउंसिल की ओर से 3.01 स्कोर के साथ मान्यता प्राप्त और एनआईआरएफ यानी नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क के तहत शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में शुमार संस्थान डुअल डिग्री कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं।यूजीसी अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि इन मानदंडों पर खरे उतरने वाले संस्थानों को अलग से मान्यता या स्वीकृति लेनी की आवश्यकता नहीं है। साथ ही छात्रों को भी विदेशी विश्वविद्यालय से 30 फीसदी क्रेडिट स्कोर हासिल करना होगा।
Education News. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से देश में डुअल डिग्री प्रोग्राम को स्वीकृति और मान्यता दे दी गई है। यह जानकारी यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने मंगलवार, 19 अप्रैल को मीडिया से संवाद के दौरान दी।
प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने बताया कि उच्च शिक्षा नियामक यूजीसी की ओर से डुअल डिग्री और ट्विन डिग्री कार्यक्रमों को मान्य कर दिया गया है।
इसके तहत देश की कोई भी यूनिवर्सिटी किसी अन्य देश की यूनिवर्सिटी के साथ आपसी समझौते के तहत डुअल डिग्री कार्यक्रमों का संचालन कर सकती है। इससे छात्रों को दोहरा फायदा होगा।
प्रो कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि राष्ट्रीय महत्व के संस्थान, नैक यानी नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडेशन काउंसिल की ओर से 3.01 स्कोर के साथ मान्यता प्राप्त और एनआईआरएफ यानी नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क के तहत शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में शुमार संस्थान डुअल डिग्री कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं।
दोहरी डिग्री कार्यक्रम की पेशकश करने के लिए इन संस्थानों को क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग और टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग में शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों में शामिल की गई यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू और समझौता करना होगा।
यूजीसी अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि इन मानदंडों पर खरे उतरने वाले संस्थानों को अलग से मान्यता या स्वीकृति लेनी की आवश्यकता नहीं है। साथ ही छात्रों को भी विदेशी विश्वविद्यालय से 30 फीसदी क्रेडिट स्कोर हासिल करना होगा।
इसके अलावा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि ये नियम और स्वीकृत किसी ओडीएल यानी ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग यूनिवर्सिटी या संस्थान के द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों पर लागू नहीं होंगे।
इसका मतलब यह है कि दोहरी डिग्री कार्यक्रम किसी ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा माध्यम से पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रमों पर लागू नहीं होगा।