ग्राम वन समिति वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिये प्रस्तुत कर रही हैं अनूठी मिसाल 

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ग्राम वन समिति शिवनी ने 26 हेक्टेयर में किया सघन पौधारोपण तथा नाहर झाबुआ ने बचाए रखा लगभग दो हजार हेक्टेयर का जंगल
इन्दौर। राज्य शासन द्वारा दिये गये दिशा निर्देशों के अनुसार इन्दौर जिले में वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिये गठित की गई ग्राम वन समितियां बेहतर कार्य कर रही है। अनेक ऐसी समितियां है जिन्होंने वनों को बढ़ाने और वनों की सुरक्षा के लिये अनूठी मिसाले प्रस्तुत की हैं। इन्हीं में शामिल है जिले की ग्राम वन समिति शिवनी तथा वन समिति नाहर झाबुआ।
वन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी ए.के. श्रीवास्तव ने बताया कि इन्दौर जिले में कुल 116 ग्राम वन समितियां वनों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिये लगातार कार्य कर रही हैं। इन समितियों के माध्यम से वनों की सुरक्षा और वन क्षेत्र बढ़ाने में मदद भी मिल रही है। उन्होंने बताया कि इन्दौर जिले की ग्राम वन समिति शिवनी (गढ़ी) ने वन क्षेत्र बढ़ाने में बेहतर सहयोग प्रदान किया है। उन्होंने बताया कि गढ़ी क्षेत्र में लगभग साढ़े 26 हेक्टेयर में 32 हजार 150 पौधे लगायें। वन समितियों की लगातार देखभाल से पौधों को जीवित रखने और उन्हें बढ़ाने में मदद मिल रही है। इसके फलस्वरूप लगाये गये 32 हजार 150 पौधों में से लगभग 26 हजार पौधे पूर्ण रूप से जीवित और सुरक्षित हैं। इस तरह पौधों के जीवित रहने का प्रतिशत 80 से अधिक है। यह उपलब्धि बेहतर मानी जाती है। पौधों को जीवित रखने में और उनकी देखभाल और सुरक्षा के लिये वन समिति के अध्यक्ष सलीम अकरम पटेल द्वारा उल्लेखनीय सहयोग दिया जा रही है। वे अपने 40 सदस्यों के साथ में लगाये गये पौधों की लगातार देखभाल कर रहे हैं। वन विभाग के अमले को पूरा सहयोग उनके द्वारा दिया जा रहा है।
इसी तरह वन क्षेत्र की बढ़ोत्तरी के लिये नाहर झाबुआ की वन समिति द्वारा उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है। श्रीवास्तव ने बताया कि इस क्षेत्र में दो हजार के अधिक हेक्टेयर का वन क्षेत्र है। आज से दस वर्ष पूर्व बड़ी संख्या में वन को नुकसान पहुंचता था। वनों की अवैध कटाई होती थी। उस वक्त दस से 15 प्रकरण हर माह अवैध कटाई के दर्ज होते थे। वन विभाग के अमले द्वारा वन समिति को सक्रिय किया गया। 35 ग्रामीणों को लेकर वन समिति बनाई गई। इनका बेहतर सहयोग मिलने लगा। इस समिति के वर्तमान में रूप सिंह बानिया अध्यक्ष हैं। बताया गया कि वन समिति के सक्रिय सहयोग से प्रकरणों में साल दर साल कमी आती गई। वर्तमान में माह में अब एक या दो ही छोटे-छोटे प्रकरण दर्ज हो रहे हैं। वन समितियों का सहयोग बेहद मददगार साबित हो रहा है।
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।