(लेखक- विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन)
विश्व समुदाय का मानना है कि रचनात्मकता ही विश्व की सबसे अनमोल निधि है। जिसके सहारे हम अपनी सतत विकास की रफ्तार को बनाए रख सकते हैं। हिंसा और वैमनस्य के दौर में रचनात्मकता ही है जो विश्व को आगे बढ़ने की प्रेरणा दे सकती है।
हर साल 21 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से रचना रचनात्मकता एवं नवाचार को समर्पित किया गया है। इस दिवस का उद्देश्य विश्व भर में रचनात्मकता की संस्कृति को बनाए रखना है।
विश्व समुदाय का मानना है कि रचनात्मकता ही विश्व की सबसे अनमोल निधि है। जिसके सहारे हम अपनी सतत विकास की रफ्तार को बनाए रख सकते हैं। हिंसा और वैमनस्य के दौर में रचनात्मकता ही है जो विश्व को आगे बढ़ने की प्रेरणा दे सकती है।
इस रचनात्मकता की शुरुआत घर से ही होती है। होनी भी चाहिए। मिट्टी, रंग, कपड़ा, कागज, पेड़ …. वह कुछ भी जिसे हम आप देख सकते हैं, छू सकते हैं रचनात्मकता के सांचे में ढल कर और सुंदर हो जाता है।
सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चों में यह रचनात्मकता बनी रहे। इसके लिए आप इन टिप्स को फॉलो कर सकते हैं।
बच्चे के रचनात्मक विकास के लिए ज़रूरी है कि अपने मन का काम करते समय उसे टोका न जाए और न ही गाइड किया जाए। टोका-टाकी और ज़्यादा सुझाव उसकी कल्पनाशक्ति को प्रभावित करते हैं।
क्यों जरूरी है रचनात्मकता
किसी भी बच्चे के सतत विकास के लिए रचनात्मकता का होना बहुत जरूरी है। इसे इस तरह भी कहा जा सकता है कि बच्चे की रचनात्मकता ही उसके विकास का संकेत देती है। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बच्चे ही इसमें बेहतर योगदान कर सकते हैं।
पर कई बार पेरेंट्स और टीचर्स की गलती से बच्चों की यह रचनात्मकता बाधित होती है। बच्चे के रचनात्मक विकास के लिए ज़रूरी है कि अपने मन का काम करते समय उसे टोका न जाए और न ही गाइड किया जाए। टोका-टाकी और ज़्यादा सुझाव उसकी कल्पनाशक्ति को प्रभावित करते हैं।
ख़ुद तय करने दें
आपकी भूमिका बच्चे को सिर्फ़ सामान ख़रीदकर देने तक होनी चाहिए। अगर उसे ड्रॉइंग करने में मज़ा आता है तो पेंसिल-रबर, ड्रॉइंग बुक, स्केचपैन, पेंसिल कलर, आदि उसे ख़रीद कर दें।
लिखने में रुचि है तो अच्छी किताबें ला कर दें। वह जो करना चाहता है उसे करने दें। जब हम बच्चों को बहुत ज्यादा गाइड करने लगते हैं तो अनजाने ही हम उसकी रचनात्मकता का रास्ता रोक देते हैं।
दीवारें हैं रचनात्मकता का कैनवास
बच्चों की रचनात्मकता के लिए ये दीवारें कैनवास का काम करती हैं। उसे उसमें अपने मन के रंग भरने दें। कुछ बच्चे कागज पर लिखने या ड्राइंग करने के बजाय दीवार पर लिखते या ड्रॉइंग करते हैं।
अगर आपका बच्चा भी दीवार पर अपनी रचनात्मकता उकेरने में आनंद महसूस करता है, तो दीवार ख़राब होने या दोबारा पेंट कराने पर होने वाले ख़र्च की वजह से उसे रोकें नहीं। बच्चों की रचनात्मकता के लिए ये दीवारें कैनवास का काम करती हैं। उसे उसमें अपने मन के रंग भरने दें।
सीमाएं निर्धारित न करें
जब हम अपनी तरफ से बच्चे को कोई टॉपिक या आइडिया देते हैं तो हम उसे सीमाओं में बांध देते हैं। इस तरह उसकी सोच का दायरा सिकुड़ जाएगा। अगर बच्चा ख़ुद आपसे मदद मांगे तो सीधे तौर पर मदद करने के बजाय उससे बात करें।
जैसे अगर बच्चा पूछे कि गुलाब के फूल में कौन-सा रंग भरे तो उसे सीधे गाइड करने के बजाय घर या स्कूल के गार्डन में लगे फूलों के बारे में उससे बात करें।
बातों में उसे बताएं कि किस फूल में लाल, किसमें गुलाबी, किसमें पीला रंग भरते हैं। कुछ ही देर में उसके दिमाग़ में ख़ुद आइडिया आ जाएगा और वह बातचीत बीच में छोड़ कर अपने बनाए फूल में रंग भरने लग जाएगा।
कमेंट या सुझाव दोनों गड़बड हैं
बच्चे की बनाई चीज़ों पर कमेंट न करें, न ही उसे सुझाव दें। आमतौर पर लोग बच्चों को यह बताने में गर्व महसूस करते हैं, ‘अगर तुम यह रंग थोड़ा गहरा कर देते’ या ‘गुड़िया के बाल काले कर देते’ तो तुम्हारी ड्रॉइंग और सुंदर हो जाती।
इस तरह के सुझाव से बच्चे को लगता है कि उसकी बनाई ड्रॉइंग ठीक नहीं है। वह दोबारा अपनी कल्पनाशक्ति इस्तेमाल नहीं करता। उसका उत्साह कमजोर पड़ जाता है.
इसकी बजाय पॉज़िटिव कमेंट करें, जैसे ‘तुमने अच्छा बनाया है’, ‘तुम अच्छे आर्टिस्ट हो’ आदि। इससे बच्चे का हौसला बढ़ेगा।
शाबाशी है टॉनिक
शाबाशी बच्चों ही नहीं बड़ों के लिए भी टॉनिक का काम करती है। इसलिए बच्चे को यह टॉनिक देते रहें। बच्चे ने जो भी बनाया है, उसे संभाल कर रखें।
उसकी बनाई ड्रॉइंग्स को फ्रेम कराकर घर में लगाएं। बच्चे का ख़ुद पर भरोसा बढ़ेगा। अगली बार वह ज़्यादा उत्साह से जुटेगा।
वैसे भी बच्चे ने क्या और कैसा बनाया है, इससे ज़्यादा महत्वपूर्ण यह है कि उसे बनाने में बच्चे को कितना मज़ा आया है। इस दिन से प्रेरित होकर नया करने की सीख मिलती हैं।