केबल ब्रिज दुर्घटना में 12 साल से कम उम्र के 40 बच्चों की मौत

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sadbhawnapaati
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मोरबी| मोरबी के मच्छू नदी पर बने केबल ब्रिज को रविवार को अचानक टूटने से महिला और बच्चों समेत 150 जितने लोगों की मौत हो चुकी है| इस हादसे में किसी ने अपने माता-पिता, किसी ने भाई-बहन तो किसी ने पत्नी और संतानें गंवा दी हैं| मृतकों में 40 बच्चे ऐसे थे, जिनकी आयु 12 साल से भी कम उम्र की थी|
दुर्घटना में मारे गए 130 से अधिक लोगों के शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए हैं| इस दर्दनाक हादसे में भाजपा सांसद मोहन कुंडारिया के 12 रिश्तेदारों की भी मौत हुई है| घटना के 20 घंटे बीतने के बाद भी मच्छु नदी में सर्च ऑपरेशन जारी है| सेना, नौसेना, वायुसेना, एनडीआरएफ और फायर ब्रिगेड टीमें लगातार सर्च ऑपरेशन कर रही हैं|
गुजरात पुलिस की मरीन टास्क फोर्स भी इस काम लगी हुई है| गौरतलब है मोरबी के मच्छु नदी पर केबल ब्रिज का निर्माण 1877 में शुरू हुआ था और इसका उद्घाटन 1880 में मुंबई के तत्कालीन गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था| उस वक्त केबल ब्रिज के निर्माण पर रु. 5 लाख का खर्च हुआ था| उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित लक्ष्मण झूला की तरह मोरबी का केबल ब्रिज था| जहां बड़ी संख्या में लोग आते थे|
140 साल पुराने इस ब्रिज के जर्जर होने के बाद इसे बंद कर दिया गया और उसकी मरम्मत और रखरखाव का काम ओरवा ग्रुप को दिया गया था| 6 महीने तक ब्रिज बंद रहने के दौरान इसकी मरम्मत पर करीब 2 करोड़ रुपए का खर्च किया गया था| गुजराती नव वर्ष के अवसर पर गत 26 अक्टूबर को ब्रिज लोगों के लिए खोला गया था| बीते दिन रविवार को 100 लोगों की क्षमता वाले इस ब्रिज पर 500 से अधिक लोग जमा हो गए|
ओवरलोड होने की वजह से ब्रिज अचानक टूट गया और ब्रिज पर मौजूद लोग मच्छू नदी में जा गिरे| जिसमें जो तैरना जानते थे वह तो किसी प्रकार बाहर आ गए| कई लोगों ने ब्रिज टूटने के बाद केबल या जाली पकड़ कर अपनी जान बचा ली| अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग अस्पताल में उपचाराधीन हैं|
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