हाईकोर्ट ने अपील खारिज करते हुए कहा कि 26 जनवरी 2001 को कानून लागू हुआ है. इसके बाद तीसरा बच्चा हुआ तो सिविल सेवा अधिनियम 1961 (Civil Services Act 1961) के तहत सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य माने जाएंगे. लिहाजा आप नौकरी के लायक ही नहीं हैं.
बता दें कि साल 2009 में व्यापमं के माध्यम से आयोजित सहायक बीज प्रमाणन अधिकारी की परीक्षा लक्ष्मण सिंह बघेल ने भी दी थी. बघेल का मेरिट लिस्ट में 7 वें नंबर पर नाम आया था.
हाईकोर्ट की सिंगल बैंच के बाद अब डबल बैंच से भी नहीं मिली राहत
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याचिकाकर्ता लक्ष्मण सिंह ने कहा था कि जब आवेदन किया था उस समय वो दो बच्चों का पिता था. परीक्षा देने के बाद तीसरे बच्चे का जन्म हुआ है, इसलिए कानून उसके ऊपर लागू नहीं होता है.
इसमें तर्क था कि उम्मीदवार की योग्यता आवेदन जमा करने की तिथि से मापी जाती है. याचिकाकर्ता को नियुक्ति के बाद बच्चा हुआ है, लिहाजा उसे गलत तरीके से अयोग्य घोषित किया है.
सिंगल बैंच ने याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद लक्ष्मण ने डबल बैंच में अपील दायर की थी.
न्यायमूर्ति शील नागू एवं न्यायमूर्ति आनंद पाठक ने लक्ष्मण सिंह बघेल की रिट अपील को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में सिंगल बैंच द्वारा दिए गए आदेश से अलग दृष्टिकोण अपनाए जाने का कोई कारण नहीं दिखता है, लिहाजा लक्ष्मण सिंह बघेल को कोई राहत नहीं दी जा सकती है.
साथ ही ये कहते हुए अपील खारिज कर दी कि 26 जनवरी 2001 के बाद तीसरा बच्चा हुआ इसी आधार पर लक्ष्मण नौकरी करने के लायक नहीं हैं.
जनसंख्या नियंत्रण के लिए बना एमपी सिविल सेवा अधिनियम-1961
मध्य प्रदेश सिविल सेवा अधिनियम-1961 के तहत जिनके तीसरे बच्चे का जन्म 26 जनवरी 2001के बाद हुआ उनको सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी. महिला और पुरुष को इस कानून के लागू होने के बाद तीसरा बच्चा होता है तो वह सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य माना जाएगा. उसे सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी और न ही शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा. इस कानून में तथ्य छिपाकर नौकरी करने पर सख्त कानूनी कार्रवाई का प्रावधान भी है.
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