Health Tips – कोरोना के ‘ब्रेकथ्रो इन्‍फेक्‍शन’ में लोगों में दिखाई दे रहे हैं ये प्रमुख लक्षण

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Health Tips :कोरोना वैक्सीन की एक या दोनों वैक्सीन लेने के बाद भी भारत में संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में वैक्सीनेशन के बावजूद होने वाले संक्रमण यानि इन ब्रेकथ्रो इन्‍फेक्‍शन के मामलों को लेकर भी विशेषज्ञों में चिंता है. हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की स्टडी में यह बात सामने आई है कि कोरोना के ब्रेकथ्रो संक्रमण के इन मामलों में कुछ प्रमुख लक्षण देखे गए हैं.

आईसीएमआर (ICMR) की इस स्टडी में देश के लगभग सभी राज्‍यों से 677 लोगों को शामिल किया गया था. इस दौरान सामने आया कि इनमें से केवल 9.8 फीसदी को ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी जबकि बाकी लोग घर पर ही ठीक हो गए. हालांकि इस दौरान इन लोगों को स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी कुछ प्रमुख बीमारियों से जूझना पड़ा, जिसकी जानकारी स्‍टडी में दी गई है. इस अध्ययन में बताया गया है कि ब्रेकथ्रो इन्‍फेक्‍शन से जूझ रहे लोगों में सबसे ज्यादा बुखार देखा गया है. कोरोना से संक्रमित 69 फीसदी लोगों को बुखार (Fever) हुआ था. वहीं 56 फीसदी लोगों को बदन दर्द के साथ सिरदर्द (Headache) जी मिचलाने (Nausea) की समस्या पैदा हुई थी. 45 फीसदी मरीजों को खांसी की शिकायत हुई. इसके साथ ही 37 फीसदी लोगों को गले में दर्द की की परेशानी हुई.

इस दौरान 22 फीसदी लोगों के मुंह का स्वाद और सूंघने की शक्ति चली गई. महज छह फीसदी लोगों को डायरिया की शिकायत हुई. छह फीसदी को ही सांस लेने में दिक्कत (Breathlessness) महसूस हुई. इसके अलावा एक फीसदी लोग ऐसे भी थे जिन्हें आंखों में जलन और परेशानी से जूझना पड़ा.

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विशेषज्ञों की मानें तो ये सभी कोरोना के सामान्य लक्षण हैं जो कोरोना की पहली लहर (Corona First Wave) के दौरान लोगों में देखे गए थे. जबकि दूसरी लहर के दौरान पैदा हुई कोरोना की गंभीर स्थिति वाले सांस लेने की दिक्‍कत जैसे लक्षण सिर्फ छह फीसदी में ही मिले हैं. ऐसे में यह तय है कि वैक्सीन लेने के बाद कोरोना का ब्रेकथ्रो इन्‍फेक्‍शन होना संभव है लेकिन इसका प्रभाव गंभीर नहीं होता है. वहीं इसके लक्षण भी सामान्‍य रहते हैं.

स्टडी में आगे कहा गया है कि देश के अलग अलग राज्यों में कोरोना के ब्रेकथ्रो संक्रमण के लिए अलग-अलग कोरोना वेरिएंट जिम्मेदार हैं. कहीं डेल्टा तो कहीं कप्पा या अल्‍फा वेरिएंट की वजह से लोग ब्रेकथ्रो इन्‍फेक्‍शन की चपेट में आए हैं. हालांकि राहत की बात ये रही कि इनमें से महज 0.4 फीसदी लोगों की ही इससे मौत हुई है.

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।