Religious And Spiritual News – Janmashtami 2021 – श्रीकृष्ण युद्ध की हर कला में पारंगत थे, जाने 

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सोमवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami 2021) है। इस दिन भगवान कान्हा का जन्मोत्सव बड़े ही धूम-धाम से पूरे देश में मनाया जाएगा। श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में कई युद्ध किए और सभी में विजय प्राप्त की। वे युद्ध की हर कला में निपुर्ण थे। लेकिन फिर भी उन्हें योद्धा के रूप में कम और रणनीतिकार, प्रेमी, मित्र आदि रूपों में अधिक देखा जाता है। श्रीकृष्ण ने अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण युद्ध किए, जिनमें कालयवन, जरासंध, नरकासुर, बाणासुर आदि के साथ उनके युद्ध की कथाएं प्रचलित हैं। कुरुक्षेत्र में हुए युद्ध में भी उन्होंने भले ही शस्त्र नहीं उठाएं हों, लेकिन पांडवों की विजय के मुख्य कारण श्रीकृष्ण ही थे।

1. भगवान् श्रीकृष्ण के खड्ग का नाम नंदक, गदा का नाम कौमुदकी और शंख का नाम पांचजन्य था जो गुलाबी रंग का था।
2. भगवान श्री कृष्ण के धनुष का नाम सारंग व मुख्य शस्त्र सुदर्शन चक्र था। वह लौकिक, दिव्यास्त्र व देवास्त्र तीनों रूपों में कार्य कर सकता था। उसकी बराबरी के विध्वंसक केवल दो अस्त्र और थे पाशुपतास्त्र और प्रस्वपास्त्र।
3. दक्षिण भारत का मार्शल आर्ट कहे जाने वाले कलरीपायट्‌टू युद्ध कला का जनक भी श्रीकृष्ण को ही माना जाता है। मान्यता है कि भगवान् श्री कृष्ण ने कलरीपायट्‌टू की नींव रखी जो बाद में बोधिधर्मन से होते हुए आधुनिक मार्शल आर्ट में विकसित हुई।
4. भगवान श्रीकृष्ण के रथ का नाम जैत्र था और उनके सारथी का नाम दारुक/बाहुक था। उनके घोड़ों (अश्वों) के नाम थे शैव्य, सुग्रीव, मेघपुष्प और बलाहक।
5. भगवान् श्रीकृष्ण ने केवल 16 वर्ष की आयु में विश्वप्रसिद्ध चाणूर और मुष्टिक जैसे मल्लों का वध किया।
6. भगवान श्रीकृष्ण रथ चलाने में भी माहिर थे। उस समय दो ही योद्धा ऐसे थे जो महान रथचालक थे। श्रीकृष्ण के अलावा पांडवों के मामा मद्रदेश के राजा शल्य ही इस कार्य में निपुर्ण थे।
7. श्रीकृष्ण महान रणनीतिकार भी थे। कुरुक्षेत्र के युद्ध में जब भी कौरव पांडवों को हराने की कोई योजना बनाते तो श्रीकृष्ण ही उससे बचने की युक्ति निकालते थे।
8. जरासंध के साथ श्रीकृष्ण के कई युद्ध हुए। हर बार श्रीकृष्ण जरासंध को जीवित ही छोड़ देते थे ताकि वो अगली बार और बड़ी सेना लेकर आए और धरती से पापियों का नाश होता रहे।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।