प्रदेश में मौत के 465 ब्लैक स्पॉट
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार सड़क हादसों को कम करने के लिए लगातार योजनाएं बना रही है. हाल ही में सरकार ने प्रदेश में ब्लैक स्पॉट की गणना कराई. इस दौरान पता चला कि प्रदेश में मौत के 465 ऐसे ब्लैक स्पॉट हैं जहां से गुजरना जानलेवा साबित हो सकता है. ट्रैफिक पुलिस और रोड सेफ्टी की भाषा में ब्लैक स्पॉट उसे कहते हैं जहां दुर्घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं. हर साल प्रदेश में मौत के ब्लैक स्पॉट बढ़ते जा रहे हैं. यहां पर होने वाले हादसों के बाद भी जिम्मेदार अफसरों की नींद नहीं खुल रही है. यदि सामूहिक जिम्मेदारी से काम किया जाए तो प्रदेश में सड़क हादसों में होने वाली मौतों पर अंकुश लगाया जा सकता है.
5 जिलों में ब्लैक स्पॉट बढ़े
मध्यप्रदेश में 2019 की तुलना में 2020 में ब्लैक स्पॉट की संख्या सबसे ज्यादा 5 जिलों में बढ़ी है. सागर जिले में 1 साल के अंदर सबसे ज्यादा ब्लैक स्पॉट की संख्या बढ़ी. सागर में 2019 में 11 ब्लैक स्पॉट थे जो 2020 में 28 हो गए. छिंदवाड़ा में 8 से 17, धार में 6 से 14 हो गए. सीधी में 9 से 14 और जबलपुर में 10 से 16 ब्लैक स्पॉट हो गए.
ऐसे होते हैं ब्लैक स्पॉट
राष्ट्रीय राजमार्ग पर 500 मीटर का वह क्षेत्र जहां पिछले 3 साल में या तो 5 सड़क दुर्घटना या 10 मौत हुई हों, उस जगह को ब्लैक स्पॉट कहते हैं. सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी एंड मोरथ ने ब्लैक स्पॉट के संबंध में जो दिशा निर्देश दिये हैं उसका लीड एजेंसी PTRI सभी सड़क नोडल निर्माण एजेंसी से पालन करवाती है और उसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ऑन रोड सेफ्टी को भेजती है.