MP News – म. प्र. में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव निरस्त, राज्य निर्वाचन आयोग ने कानूनी सलाह के बाद की घोषणा, जानिए अब आगे क्या होगा

sadbhawnapaati
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मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव निरस्त हो गए हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने 4 दिसंबर 2021 द्वारा घोषित चुनाव कार्यक्रम निरस्त कर दिया है। ये निर्णय विधि विशेषज्ञों के साथ हुई बैठक के बाद लिया गया है। उम्मीदवारों को जमानत राशि वापस कर दी जाएगी।\
सचिव बीएस जामोद ने कहा, विधि विशेषज्ञों से ली राय के बाद राज्य निर्वाचन आयुक्त ने पंचायत चुनाव की पूरी प्रक्रिया को ही निरस्त कर दिया है। जिन उम्मीदवारों ने नामांकन के साथ जमानत राशि जमा की है, उसे वापस कर दी जाएगी। आयोग ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ वकीलों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पंचायत चुनाव पर रायशुमारी की थी। मंगलवार को हुई बैठक में आयोग के आयुक्त बसंत प्रताप सिंह, प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास उमाकांत उमराव, सचिव राज्य निर्वाचन आयोग बीएस जामोद सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। पंचायत चुनाव पर अब आधिकारिक तौर पर रोक लग गई है।

राज्य सरकार ने दिए थे संकेत
मध्य प्रदेश कैबिनेट ने रविवार को उस अध्यादेश को वापस ले लिया था, जिसके आधार पर राज्य निर्वाचन आयोग ने 4 दिसंबर को पंचायत चुनावों की घोषणा की थी। इसके बाद से ही यह तय था कि नई परिस्थितियों में पंचायत चुनाव नहीं हो सकेंगे। इससे पहले 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने OBC के लिए आरक्षित पदों पर निर्वाचन प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इस फैसले को राज्य और केंद्र सरकार ने चुनौती दी है. इन याचिकाओं पर सुनवाई 3 जनवरी को होगी। इसके बाद ही तय होगा कि मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव किन परिस्थितियों में और किस व्यवस्था के तहत होते हैं। अध्यादेश निरस्त होने के बाद कमलनाथ सरकार के समय 2019 में लागू की गई परिसीमन व्यवस्था लागू हो गई है। अगर मौजूदा परिस्थितियों में चुनाव कराने हैं तो राज्य निर्वाचन आयोग को कमलनाथ सरकार के समय बने कानून के तहत वैसा करना होगा।

आगे क्या?
. सुप्रीम कोर्ट 3 जनवरी को क्या कहता है, उस पर पंचायत चुनावों का भविष्य टिका है। राज्य विधानसभा पहले ही संकल्प पारित कर चुकी है कि पंचायत चुनाव होंगे तो OBC आरक्षण के साथ। ऐसी परिस्थिति में राज्य और केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में साबित करना होगा कि राज्य में OBC को 27% आरक्षण पंचायत चुनावों में देना आवश्यक है।
. पंचायत राज विभाग ने सभी कलेक्टरों को वोटर्स लिस्ट में OBC वर्ग की पहचान करने के लिए सर्वे के आदेश दिए हैं। यह कार्यवाही 7 जनवरी तक पूरी करनी है। राज्य सरकार इसे सुप्रीम कोर्ट में OBC वर्ग को रिजर्वेशन देने का आधार बना सकती है। फिलहाल जब तक आंकड़े नहीं आते, तब तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
. कांग्रेस नेताओं ने रोटेशन व्यवस्था खत्म करने वाले अध्यादेश को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। राज्य सरकार ने अध्यादेश वापस ले लिया है, जिसके बाद उन याचिकाओं का औचित्य खत्म हो जाता है। फिलहाल तो कांग्रेस नेता सुप्रीम कोर्ट में OBC आरक्षण के मामले में राज्य और केंद्र सरकार के पक्ष में आवेदन कर सकते हैं। इसकी संभावना न के बराबर है।
. पंचायत चुनावों के पहले और दूसरे चरण के मतदान के लिए नामांकन की प्रक्रिया हो गई थी। ऐसे में नाम वापसी की तारीख के बाद जो भी लोग उम्मीदवार बने हैं, राज्य निर्वाचन आयोग ने उन्हें जमानत राशि लौटाने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट में स्थिति स्पष्ट होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग को दोबारा अधिसूचना जारी कर चुनाव कार्यक्रम घोषित करने होंगे।

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