National News – सुप्रीम कोर्ट केवल अत्यावश्यक मामलों की करेगा सुनवाई, कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते लिया फैसला

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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नई दिल्ली, एएनआइ। कोरोना के मामलों के अचानक बढ़ने के मद्देनजर, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 7 जनवरी से सभी मामलों को वर्चुयल मोड में आवासीय कार्यालयों से प्रभावी ढंग से सुनने का फैसला किया है।

इसके अलावा 10 जनवरी से अदालतों द्वारा केवल जरूरी मामलों को ही लिया जाएगा।

एक आधिकारिक सर्कुलर के माध्यम से कोर्ट ने यह अधिसूचित किया है कि केवल अत्यंत आवश्यक ‘उल्लेखित’ मामले, नए मामले, जमानत से जुड़े मामले, स्थगन से जुड़े मामले, नजरबंदी के मामले और निश्चित तारीख के मामले ही अगले आदेश तक अदालतों के समक्ष सूचीबद्ध किए जाएंगे। यह अधिसूचित किया गया है कि स्थानांतरण याचिकाओं को एकल न्यायाधीश पीठ के बजाय नियमित पीठों के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा और आत्मसमर्पण से छूट के आवेदनों को भी अगले आदेश तक चैंबर न्यायाधीश के बजाय नियमित पीठों के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा।

चार से छह सप्ताह तक फिजिकल सुनवाई नहीं होगीः मुख्य न्यायाधीश

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमना और चार अन्य वरिष्ठ जजों ने आज बैठक की। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने कोरोना और उसके नए संस्करण ओमिक्रॉन से उत्पन्न हालातों पर चर्चा की। सीजेआई ने इस दौरान कहा कि कम से कम 4-6 सप्ताह तक हम फिजिकल सुनवाई नहीं कर पाएंगे।

 

बैठक के दौरान एक सहमति बनी कि ऑमिक्रॉन संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए अगले 6 हफ्ते तक सुप्रीम कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई ही हो। गौरतलब है कि दो महीने पहले कोर्ट ने फिजिकल सुनवाई के लिए हफ्ते में दो दिन बुधवार और गुरुवार तय किए थे। सोमवार और शुक्रवार के दिन वर्चुअल सुनवाई ही होती थी।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।