डॉ. देवेंद्र मालवीय
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के रण में बीजेपी ने 39 सीटों पर टिकट फाइनल कर दिए है अब कांग्रेस भी पहली लिस्ट निकालने की जल्दी में है. जिन नेताओं के नाम लिस्ट में फाइनल हो रहे है उनके सामने एक बड़ी समस्या आने वाली है, निकट ही रक्षाबंधन, गणेशउत्सव, माताउत्सव और दिवाली जैसे बड़े त्योहार है।
- बीजेपी ने तो अपने उम्मीदवारों को रक्षाबंधन पर क्षेत्र की महिलाओं के साथ मिलन समारोह आयोजित करने का निर्देश दे दिया है वहीं कांग्रेसी उम्मीदवार भी क्षेत्र में महिला बहनों के लिए अच्छा खर्चा करने की तैयारी में है।
- गणेश उत्सव में 10 दिन तक पूजा पाठ और भंडारा नेताओं की परेशानी का सबक बनने वाला है जहां नेताओं को खर्च करने के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में गली-गली भटकना जरूरी हो जाएगा।
- इसके बाद नवदुर्गा उत्सव में पंडाल और डांडिया की धूम मचाने वाले हैं वही गरबे खेलने वाली बालिकाओं और माताओं के लिए व्यवस्था है और इनाम की व्यवस्थाओ में उम्मीदवार को निश्चित रूप से जेब ढीली करनी पड़ेगीप्रत्येक वर्ष इन त्योहारों को पंडाल संचालक चंदा इक्कठा करके आयोजित कर लेते थे वही क्षेत्र के पार्षद, विधायक छोटी मोटी मदद कर दिया करते थे। इस बार की कहानी पूरी उलट होने वाली है, जिनका विधानसभा टिकिट फाइनल हो गया है उनके पीछे पूरे क्षेत्र के कार्यकर्ता खर्चा करने की मांग करने लग जायेंगे, नेता को वोट की चाहत में खर्चा करना ही पड़ेगा, हालांकि कुछ नेता चंदे की राह पकड़ कर आपदा में अवसर तलाश कर सकते हैं वहीं जनता भी समझदार है अबकी बार पैसा खर्च नही करेगी । प्रत्येक वर्ष ये खर्चा सभी दावेदारों में बंट जाता था और कुछ स्मार्ट नेता आश्वासन देकर बच भी जाते थे, इस बार जिसका टिकिट फाइनल हो गया है उसके गले में घंटी बंधना तय है।
पन्ना गली बूथ वार्ड मंडल प्रमुख और सभी छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं नेताओं की कमाई बढ़ने वाली है।
सबसे ज्यादा दुविधा में वह विधायक दावेदार हैं जो पहले चुनाव हार चुके हैं, खर्चा नहीं करेंगे तो जीतने की उम्मीद खो देंगे और खर्च कर देंगे तो भी जीतने की उम्मीद कम है। अपने ही दल के दावेदार प्रतिद्वंद्वी भी कमर कसके उम्मीदवार से खर्चा करवाने में पीछे नहीं रहेंगे ।