डॉ. देवेंद्र मालवीय
Indore Vidhan Sabha Chunav 2023 – मिल कर्मचारी के निवास स्थान मिल क्षेत्र को समाहित करते हुए, विजयनगर, मालवा मिल, पाटनीपुरा, नंदा नगर, एलआईजी, स्कीम नंबर 54, 74, 78, अभिनंदन नगर, श्याम नगर, गौरी नगर जैसी अनेकों कॉलोनियों को समेटे हुए यह पूरी तरह से शहरी विधानसभा है, विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 में वर्तमान विधायक रमेश मेंदोला है, क्षेत्र की जनता का मिजाज वफादारी का है जिस नेता के साथ खड़ी होती है उसके लिए तन, मन, धन, न्यौछावर कर देती है।
1993 में कैलाश विजयवर्गीय द्वारा कांग्रेस विधायक सुरेश सेठ से जीती इस सीट पर 30 वर्षों से बीजेपी काबिज है.1993, 1998, 2003 में श्री विजयवर्गीय यहाँ से विधायक रहे और उनके बाद उनके सिपहसालार रमेश मेंदोला 2008, 2013, 2018 निरंतर विधायक हैं। 2011 की जनगणना के अनुमान के अनुसार, कुल 3,72,680 जनसंख्या में से 0% ग्रामीण और 100% शहरी आबादी है, लगभग 300 बूथ वाली इस सीट पर सीधा मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी में मुकाबला रहता है।
30 साल से बीजेपी का अभेद किला बन चुकी यह विधानसभा इस बार भी कोई विपरीत परिणाम देगी ऐसा महसूस नहीं हो रहा, 2018 में जब मोहन सेंगर को टिकट मिला तो ऐसा लगा कि मुकाबला कांटे का होगा पर रिजल्ट आने पर शर्मनाक अंतर की हार सामने आयी, रमेश मेंदोला ने 2018 इस सीट से 71,000 से अधिक मतों के रिकॉर्ड अंतर से जीत हासिल कर विधानसभा के सबसे बड़े जीत मार्जिन विजेता का खिताब बरकरार रखा।
क्षेत्र की जनता असामाजिक तत्वों, नशाखोरों, जमीन मकान पर कब्जों, चंदों और महिला सुरक्षा को लेकर परेशान है, इस बार भी कांग्रेस की पैनल में कोई मजबूत कैंडिडेट नहीं दिख रहा, चिंटू चौकसे राजू भदोरिया दो उम्मीदवार दिख रहे हैं पर दोनों ही जिताऊ या बराबरी का मुकाबला दे पाएंगे ऐसा अभी तक नहीं लग रहा, इसी बात को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और राजनीतिक पंडितों की मानें तो कांग्रेस इस सीट पर किसी सेलिब्रिटी को उतार कर रमेश मेंदोला और कैलाश विजयवर्गीय को क्षेत्र में ही व्यस्त कर देना चाहती है, चिंटू चौकसे को नेता प्रतिपक्ष बनाना और नगरीय निकाय चुनाव में मनपसंद टिकट देना उन्हें संतुष्ट करने के लिए काफी है।
यहाँ से यह है उम्मीदवार
बीजेपी
कैलाश विजयवर्गीय – पहले भी इस सीट से 3 बार विधायक रह चुके है पूर्व मंत्री और प्रदेश की किसी भी सीट को जीतने की क्षमता रखते है यदि हाईकमान से हरी झंडी मिलती है तो अपनी घरेलू सीट से चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री के योग्य उम्मीदवार होंगे। इनकी नेतृत्व और प्रबंधन कला का लोहा पूरा देश मानता है हरियाणा या बंगाल कहीं भी हों अपनी कला से समूचे प्रदेश में उथल पुथल मचा देते हैं। इनकी इसी कला से बीजेपी यहाँ अभेद किला बना चुकी है, हजारों कार्यकर्ता इनके इशारे पर कुछ भी कर सकते है। अमित शाह के बयान ने मुख्यमंत्री का चेहरा पार्टी का अंदरूनी मामला है यह तय कर दिया है कि शिवराज के सामने मुश्किल खड़ी रहेगी कहीं ना कहीं कैलाश विजयवर्गीय भी विधानसभा चुनाव लड़कर मुख्यमंत्री के चेहरे की दावेदारी प्रस्तुत कर सकते है इसलिए इनके चुनाव लड़ने की प्रबल सम्भावना है।
इनका माइनस यह है कि मीडिया के सामने होने पर बेबाक रूप से असंयमित भाषा बोल देते है इनके शहर में आग लगा दूंगा जैसे कई स्टेटमेंट से बीजेपी बैकफुट पर आयी है, बीजेपी के एजेंडे परिवारवाद के खिलाफ पुत्र मोह में उलझने से अपनी राजनीति को दांव पर लगा चुके हैं।
आकाश कैलाश विजयवर्गीय – शिव भक्त के रूप में पहचाने जाने वाले वर्तमान में विधानसभा 3 से विधायक है कांटे की टक्कर में चुनाव जीतकर आये, कैलाश जी के महू विधायक रहते पूरा कामकाज संभाल कर अनुभव प्राप्त कर चुके है, पिता के समान सौम्य व्यवहार के कारण अपनी अलग पहचान बना चुके है, युवाओं की लम्बी चौड़ी टीम के साथ क्षेत्र में सक्रीय मिल जाते है। कार्यकर्ताओं के लिए जमीन पर उतरने में देर नहीं करते राजनैतिक पंडितों के अनुसार इस बार विधानसभा 2 से चुनाव लड़ेंगे, युवा, सक्रीय, साफ़ सुथरी इमेज के चलते जनता की पसंद है, परंपरागत सीट होने, पिता की छवि और रमेश जी के साथ होने पर बड़ी जीत दर्ज करवा सकते है।
इनका माइनस यह है कि बीजेपी में परिवारवाद के बड़े उदाहरण है, बल्ला काण्ड से निवृत्त होने के बाद भी यह काण्ड पहचान बन चुका है, पिता के नाम के सहारे से निकल नहीं पा रहे। विधानसभा 3 से जीत की राह कठिन दिखने पर निगाह विधानसभा 2 पर है, रमेश जी की मदद के बिना जीत बहुत दूर होगी।
रमेश मेंदोला – कार्यकर्ताओं में दादा दयालु, रमेश जी, दादा आदि नामों से पहचाने जाते है अपनी विशिष्ट शैली के कारण हार को जीत में बदलने की गारंटी है। भंडारे, पंडालों, कथा, प्रवचनों से शहर में अपनी अलग ही पहचान रखते है। पार्षद से लेकर विधायक तक का सफर आसानी से तय कर चुके है परन्तु विधायक से मंत्री के सफर में वेटिंग लिस्ट में कई वर्षो से है, शहर के कई गुमराह युवकों को काम धंधे से लगाकर सही राह पर ला चुके है। हर चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी को धुल चटाने में माहिर है। सुरेश सेठ, मोहन सेंगर जैसे मजबूत विपक्षी को एक तरफ़ा हरा चुके है। इस बार भी यदि इसी विधानसभा से लड़ते है तो जीत की गारंटी मानी जा सकती है।
इनका माइनस यह है कि सुगनीदेवी कालेज घोटाले की जांच में रह चुके है, क्षेत्र के असामाजिक तत्वों के संरक्षक माने जाते है क्षेत्र के लिए कोई बड़ी योजना नहीं ला पाए युवाओं को सिर्फ पंडालों, भंडारों तक सीमित कर दिया है उनके रोजगार और शिक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाया, बाहुबली की छवि है।
कांग्रेस
चिंटू चौकसे – पार्षदी का अच्छा अनुभव रखने वाले चिंटू बीजेपी के गढ़ में कांग्रेस के मजबूत दावेदार है वर्तमान में नगर निगम इंदौर के नेता प्रतिपक्ष है। अभिनन्दन नगर, श्याम नगर, गौरी नगर सहित अनेक कालोनियों में सैकड़ों कार्यकर्ताओं की टीम के साथ उनके सुख दुःख में सबसे पहले खड़े होने वाले चिंटू चौकसे ने अपनी अलग पहचान बनाई है,
2018 चुनाव में भी ये दावेदार रहे है पर टिकिट मोहन सेंगर को मिला, इनकी और राजू भदौरिया की दोस्ती जगजाहिर है, युवा नेता, अच्छे वक्ता और साफ़ चरित्र के कारण क्षेत्र की जनता में इनकी मांग अधिक है। मोहन सेंगर के बीजेपी में जाने से किस्मत से इस बार कोई बड़ा नेता इस क्षेत्र से दावेदार नहीं है इसलिए इनकी टिकिट पक्की मानी जा रही है।
इनका माइनस यह है कि रूखे व्यवहार और सुपीरियोरिटी काम्प्लेक्स के कारण अनेक लोग दूर हो जाते है, विपक्ष में कई साल रहने के बाद भी विपक्ष के खिलाफ कोई बड़ा मूवमेंट खड़ा नहीं कर पाए न कोई बड़ा घोटाला खोल पाए, युवाओं के रोजगार, शिक्षा के लिए जमीन पर लड़ाई नहीं कर पाए, कई कांग्रेसी ही विरोध में है राजनीतिक सूत्र इनको जीत का कार्ड नहीं मानते है।
राजू भदौरिया – दोस्ती में कुर्बान होने की हिम्मत रखने वाले राजू क्षेत्र के सभी वर्गों विशेष रूप से युवाओं में अपनी खासी पैठ रखते है, एक फ़ोन पर सदलबल मदद को पहुचने वाले राजू एक बार पार्षद का चुनाव हारकर दुगनी मेहनत कर वर्तमान में पार्षद है। अपनी और जनता की बात को खुलकर बोलते है विपक्षियों से सभी प्रकार से निपटना जानते है। राजपूत समाज में मान्य है समाज का साथ होने से वोटों का ध्रुवीकरण कर चुनाव को रोचक बना सकते है, यदि जातिवाद चलता है तो दिग्विजय सिंह की पसंद राजू हो सकते है पर दोस्ती के कारण ये कभी फ्रंट पर नहीं आते अपने मित्र चिंटू चौकसे को आगे करते है।
इनका माइनस यह है कि जुबान पर लगाम नहीं रख पाते राजनीतिक दांव पेच में फस जाते है इसी कारण इनपर अपराध कायम हो चुके है। राजनीतिक परिपक्वता की कमी है जोश में होश खो देते है, गुस्से में अपना पराया सब बराबर कर देते है। छोटे मोटे मुद्दे उठा लेते है पर बड़े मुद्दे नहीं उठा पाए। जीत की गारंटी नहीं पर चुनाव में अच्छी टक्कर देकर रोचक बना सकते है।
आनंद राय – व्हिसलब्लोअर है, व्यापम जैसा बड़ा घोटाला खोल चुके है। कांग्रेस में दिग्विजय सिंह के ख़ास माने जाते है महू से टिकिट की दावेदारी कमजोर होती देख कांग्रेस इनको विधानसभा 2 से उतार कर नया समीकरण ला सकती है। अपनी बेबाक और निडर छवि के कारण जनता में पहचाने जाते है।
इनका माइनस यह है कि ये जनता से सीधे जुड़े हुए नहीं है, खुद का कोई बड़ा जनाधार नहीं है।
कांग्रेस का सेलिब्रिटी दांव – कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला को क्षेत्र में उलझाये रखने के लिए कांग्रेस सेलिब्रिटी का दांव चल सकती है, राजनीतिक पंडितों की मानें तो कांग्रेस इस सीट पर किसी सेलिब्रिटी को उतार कर रमेश मेंदोला और कैलाश विजयवर्गीय को क्षेत्र में ही व्यस्त कर देना चाहती है, चिंटू चौकसे को नेता प्रतिपक्ष बनाना और नगरीय निकाय चुनाव में मनपसंद टिकट देना उन्हें संतुष्ट करने के लिए काफी है। कमलनाथ के सलमान खान से लेकर अनेक सेलिब्रिटी में संबंध है यदि विधानसभा 2 से किसी बड़ी सेलिब्रिटी को टिकिट दिया जाता है तो चुनाव के रिजल्ट बदल सकते है क्षेत्र की जनता असामाजिक तत्वों, नशाखोरों, जमीन मकान पर कब्जों, चंदों और महिला सुरक्षा को लेकर परेशान है इसका फायदा कमलनाथ सेलिब्रिटी को उतार कर ले सकते है।
मोहन सेंगर – 2018 में विधानसभा 2 से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे है, अपने राजनैतिक संरक्षक ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने से सेंगर भी बीजेपी के सदस्य हो चुके है, सेंगर क्षेत्र में मजबूत और बाहुबली नेता है हजारों सक्षम समर्थकों के साथ सामाजिक सर्वमान्य नेता है, अच्छे व्यापारी और वकील है इस चुनाव में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी यदि बीजेपी में रहकर पार्टी के लिए काम करते है तो बीजेपी कि जीत की राह आसान होगी। अपना एक जनाधार रखते है कहीं समन्दर पटेल की राह पकड़ कर घर वापसी कर लेते है तो बीजेपी के लिए समस्या पैदा कर सकते है।
इनका माइनस यह है कि पिछला चुनाव हार चुके है असामाजिक तत्वों को पनाह देने में सबसे आगे है, इनपर हत्या का प्रकरण चल चुका है, अभी बीजेपी में शामिल है तो कांग्रेस का वोटर कटा हुआ है और बीजेपी का वोटर इनको स्वीकार नहीं करता।