सेतु बनाते हुए: एडवोकेट एके लखोटिया के साथ जीएसटी और इंदौर की आर्थिक भूमिका पर विशेष बातचीत

sadbhawnapaati
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इंटरव्यूअर: वीरेंद्र भदौरिया
इंटरव्यू देने वाले: एडवोकेट एके लखोटिया, अध्यक्ष, मध्य प्रदेश टैक्स लॉ एसोसिएशन

इंदौर, मध्य प्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी, राज्य के राजस्व में लगभग 40% का योगदान देता है और आर्थिक विकास में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। सद्भावना पाती चैनल के लिए वीरेंद्र भदौरिया के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, सम्मानित कर सलाहकार और नेता एडवोकेट एके लखोटिया जीएसटी की चुनौतियों, व्यापारियों और सरकार के बीच सेतु बनाने के उनके प्रयासों, और एक सरल कर व्यवस्था के उनके दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हैं। आंदोलनों का नेतृत्व करने से लेकर राज्यव्यापी सेमिनार आयोजित करने तक, लखोटिया की यात्रा समर्पण और सेवा से गढ़े गए नेतृत्व की मिसाल है।


वीरेंद्र भदौरिया (वीबी): नमस्कार, एडवोकेट एके लखोटिया जी! सद्भावना पाती चैनल पर आपका हार्दिक स्वागत। इंदौर मध्य प्रदेश का आर्थिक केंद्र है, जो राज्य के राजस्व में लगभग 40% का योगदान देता है। कर सलाहकार के रूप में आपका नेतृत्व न केवल इंदौर बल्कि पूरे मध्य प्रदेश और भारत में सम्मानित है। आप हमें बताएं कि एक संकोची युवा कैसे संघर्ष से तपकर इतने प्रखर नेता बने, जो व्यापारियों और कर पेशेवरों का मार्गदर्शन करते हैं?

एके लखोटिया (एकेएल): धन्यवाद, वीरेंद्र जी, आपके गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए। मेरी यात्रा कई चुनौतियों से शुरू हुई, जैसा कि कई अन्य लोगों के साथ होता है। मैंने एक युवा पेशेवर के रूप में कर क्षेत्र में शुरुआत की, इस जटिल व्यवस्था को समझते हुए। एक निर्णायक क्षण तब आया जब मध्य प्रदेश में वैट व्यवस्था थी, और सरकार ने त्रैमासिक रिटर्न को मासिक रिटर्न में बदलने और समेकित सूची के बजाय बिल-वाइज खरीद-बिक्री की सूची देने का प्रस्ताव रखा। इससे व्यापारियों में असंतोष फैल गया, वे भ्रमित और आंदोलित थे। मैंने आगे बढ़कर इस आंदोलन का नेतृत्व किया, विरोध प्रदर्शन और पूरे राज्य में बाजार बंदी का आयोजन किया। अंततः सरकार को अपना कदम वापस लेना पड़ा। इस अनुभव ने मुझे व्यापारियों के लिए वकालत करने और अधिकारियों के साथ संवाद स्थापित करने का संकल्प दिया। आज, मध्य प्रदेश टैक्स लॉ एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में, मैं व्यापारियों के हित और सरकार के राजस्व संरक्षण के लिए काम करता हूं।


वीबी: यह प्रेरणादायक है! जब जीएसटी लागू हुआ, तो व्यापारियों और उपभोक्ताओं में काफी भ्रम था। आपने और आपकी टीम ने इन गलतफहमियों को कैसे दूर किया, और सरकार के साथ मिलकर सुचारु परिवर्तन कैसे सुनिश्चित किया?

एकेएल: जीएसटी का आगमन एक परिवर्तनकारी क्षण था, लेकिन इसके साथ व्यापक भ्रम भी आया। इसे दूर करने के लिए हमने जीएसटी लागू होने से पहले ही सक्रिय कदम उठाए। हमने इंदौर के सबसे बड़े सभागार, रविंद्र नाट्य गृह, में एक विशाल सेमिनार आयोजित किया, जिसमें मध्य प्रदेश भर से लगभग 800 सदस्य शामिल हुए। इसके बाद एक और महत्वपूर्ण आयोजन तत्कालीन लोकसभा स्पीकर श्रीमती सुमित्रा महाजन जी के नेतृत्व में हुआ, जिसमें वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया और वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। करीब 1,000 सदस्यों ने भाग लिया, जिससे हमारी जागरूकता अभियान की शुरुआत हुई।

जीएसटी लागू होने के बाद, हमने इंदौर में 200 से 250 सेमिनार, वर्कशॉप, और प्रशिक्षण केंद्र शुरू किए। तहसील स्तर पर, हमने पूरे प्रदेश में 284 स्थानों पर पांच दिनों में एक साथ व्यापारियों के लिए वर्कशॉप और सेमिनार आयोजित किए। इसके अलावा, हमने 20 राज्य स्तरीय और 5 राष्ट्रीय सेमिनार किए। हमने यह भी सुनिश्चित किया कि हर जिले और तहसील में बने एसोसिएशनों से समस्याएं एकत्र की जाएं—कानूनी, जीएसटी, या अधिकारियों से संबंधित। इन समस्याओं को इंदौर में मुख्यालय स्तर पर वरिष्ठ आयुक्तों और अधिकारियों के साथ मिलकर हल किया गया। आज, पूरा प्रदेश एक छत के नीचे एकजुट है, और हम व्यक्तिगत या सामूहिक समस्याओं को हल करने में कोई कसर नहीं छोड़ते।

हमारे आयुक्त, जैसे श्री राघवेंद्र कुमार सिंह, श्री पवन शर्मा, श्री डीपी आहूजा, श्री जाटव, श्री सत्येंद्र कुमार सिंह, और वर्तमान में श्री धनराजू, हमेशा हमारे बड़े सेमिनारों में शामिल हुए और हमारा मार्गदर्शन किया। हमने विभागीय एसओपी और सर्कुलर में भी योगदान दिया, जिससे समस्याओं का समाधान आसान हुआ।


वीबी: यह प्रभावशाली है! जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारियों की कौन-सी प्रमुख समस्याएं आपके प्रयासों से हल हुईं, और वर्तमान में आप किन 10 प्रमुख समस्याओं पर सरकार के साथ चर्चा कर रहे हैं?

एकेएल: जीएसटी लागू होने के बाद कई समस्याएं थीं, विशेष रूप से ई-वे बिल को लेकर। ई-वे बिल वह दस्तावेज है जो माल के परिवहन के दौरान उसकी प्रामाणिकता सिद्ध करता है। शुरुआत में, अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नियमों के कारण व्यापारियों को दिक्कतें आ रही थीं। हमने सरकार के साथ बार-बार चर्चा की, और आज ई-वे बिल से संबंधित समस्याएं लगभग खत्म हो चुकी हैं।

हमने कमर्शियल टैक्स प्रैक्टिशनर्स इंस्टीट्यूशन, इंडिया चैंबर ऑफ कॉमर्स, और मालवा चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ मिलकर सरकार के सामने समस्याएं रखीं। जीएसटी काउंसिल की गवर्नेंस रिड्रेसल कमेटी (जीसी) के माध्यम से भी हमने कई मुद्दे उठाए। उदाहरण के लिए, धारा 73 (भूलवश चोरी) और 74 (जानबूझकर चोरी) को एक करने की मांग की, जिसके परिणामस्वरूप धारा 74ए का नया विकल्प आया। जीएसटी रिटर्न में संशोधन की मांग भी पूरी हुई, और अब जीएसटीआर-1 को संशोधित किया जा सकता है।

वर्तमान में, हम निम्नलिखित 10 प्रमुख समस्याओं पर काम कर रहे हैं:

  1. आईटीसी समायोजन: सरकार पहले आईजीएसटी, फिर सीजीएसटी, और अंत में एसजीएसटी समायोजित करने का निर्देश देती है, जिससे व्यापारियों के खाते में पैसा फंस जाता है। इससे व्यापार प्रभावित होता है।
  2. जीएसटीआर-1 और 3बी की लेट फीस: जीएसटीआर-1 की लेट फीस ऑडिट या रिफंड के समय लगती है। हम चाहते हैं कि इसे हटाया जाए या पोर्टल पर लिया जाए।
  3. जीएसटीआर-9 (वार्षिक रिटर्न): रिकॉन्सिलिएशन की अंतिम तारीख 30 नवंबर और जीएसटीआर-9 की 31 दिसंबर है। हम मांग कर रहे हैं कि इसे जीएसटीआर-9 तक ठीक करने की सुविधा मिले।
  4. आईएमएस सिस्टम: जीएसटीआर-2 की जगह आईएमएस सिस्टम लाया गया, लेकिन इसमें ऐड और मॉडिफाई का विकल्प नहीं है। इसे और विकसित करना चाहिए।
  5. **डीआरसी-3, 4, 5: डीआरसी को इंटिमेशन की जगह ऑर्डर का रूप देना चाहिए, ताकि गलती से जमा राशि पर अपील हो सके।
  6. आईटीसी का दायित्व: आईटीसी की जिम्मेदारी प्राप्तकर्ता की बजाय सप्लायर पर होनी चाहिए, जैसा कि सनक्राफ्ट एनर्जी केस में उच्च न्यायालय ने कहा।
  7. ब्याज दर: 18% की ब्याज दर बहुत अधिक है। इसे 12% तक कम करना चाहिए, क्योंकि यह व्यापारियों पर भारी पड़ता है।
  8. रिवाइज रिटर्न: जीएसटीआर-1 और 3बी को बार-बार सुधारने की सुविधा मिलनी चाहिए।
  9. विलंबन स्वीकार्यता: जीएसटी में विलंबित अपीलों को स्वीकार करने की व्यवस्था नहीं है, जो पुराने एक्ट्स में थी थी। इसे लागू करना चाहिए।
  10. जीएसटी ट्रिब्यूनल: इंदौर, ग्वालियर, और जबलपुर में जीएसटी ट्रिब्यूनल की बेंच स्थापित होनी चाहिए, विशेष रूप से इंदौर में, जो मध्य प्रदेश की औद्योगिक राजधानी है।

वीबी: व्यापारियों में आईटीसी को लेकर सबसे ज्यादा असंतोष है, खासकर जब सप्लायर की गलती के कारण आईटीसी निरस्त हो जाती है। इस पर आपका क्या कहना है, और इंदौर में जीएसटी ट्रिब्यूनल की आवश्यकता क्यों है?

एकेएल: आईटीसी का मुद्दा व्यापारियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। एक व्यापारी पूरी ईमानदारी से खरीद करता है और रिटर्न दाखिल करता है, लेकिन अगर सप्लायर रिटर्न नहीं भरता या कोई गलती करता है, तो इसका खामियाजा व्यापारी को भुगतना पड़ता है। यह व्यवहारिक कठिनाई है, खासकर जब कोलकाता जैसे दूर के सप्लायर से खरीद होती है। हमने इसे जीएसटी काउंसिल के समक्ष उठाया है, और उच्च न्यायालय के फैसलों, जैसे सनक्राफ्ट एनर्जी केस, का हवाला दिया है। सरकार को इसे जल्द हल करना चाहिए।

इंदौर में जीएसटी ट्रिब्यूनल की बेंच जरूरी है क्योंकि यह मध्य प्रदेश का आर्थिक केंद्र है, जो 40% राजस्व देता है। भोपाल में मुख्य पीठ ठीक है, लेकिन इंदौर इसका प्रबल हकदार है। ग्वालियर और जबलपुर में भी बेंचें होनी चाहिए ताकि व्यापारियों को सुविधा मिले।


वीबी: मध्य प्रदेश में संवादहीनता न के बराबर है, जो अन्य राज्यों में आम है। आप सरकार और व्यापारियों के बीच इस समन्वय को कैसे और मजबूत करेंगे, और छोटे व्यापारियों के लिए क्या योजनाएं हैं?

एकेएल: मध्य प्रदेश में संवादहीनता की कमी हमारे निरंतर प्रयासों का नतीजा है। हम सरकार और व्यापारियों के बीच सेतु का काम करते हैं। सरकार की सूचनाएं व्यापारियों तक जल्दी पहुंचाने से सरकारी तंत्र का बोझ कम होता है। हमने जीएसटी काउंसिल के सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों को इंदौर बुलाकर सकारात्मक चर्चा की, जहां समस्याओं के साथ समाधान भी सुझाए गए।

छोटे व्यापारियों के लिए, जो जीएसटी के नाम से डरते हैं और अकाउंटेंट या वकील नहीं रख सकते, हमारा सुझाव है कि सरकार और कर सलाहकार मिलकर एक शैक्षणिक अभियान चलाएं। एक वेब पोर्टल बनाया जाए, जिसमें जीएसटी की बुनियादी जानकारी—ड्यूटी, सावधानियां, और दायित्व—संक्षेप में उपलब्ध हो। जटिल कोड्स या नियमों की जगह, चुनिंदा और सरल बातें छोटे व्यापारियों को समझाई जाएं, ताकि वे खुद भी कुछ काम कर सकें।


वीबी: आपने आज समय निकाला, इसके लिए हम आपके आभारी हैं। आपकी शुभकामनाओं के साथ, हम उम्मी द करते हैं कि आपका मिशन सफल हो, और व्यापारियों की समस्याओं का समाधान हो। दर्शकों से अनुरोध है कि वे अपने कमेंट्स दें और चैनल को सब्सक्राइब करें। धन्यवाद, नमस्कार!

एकेएल: धन्यवाद, वीरेंद्र जी। मैं आपके चैनल और दर्शकों का आभार व्यक्त करता हूं। व्यापारियों और सरकार के हित में हमारा प्रयास जारी रहेगा। नमस्कार!


(यह साक्षात्कार मध्य प्रदेश में जीएसटी की जटिलताओं और व्यापारियों की चुनौतियों को समझने के लिए एक गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। एडवोकेट एके लखोटिया का नेतृत्व और समन्वय मध्य प्रदेश को एक मॉडल राज्य बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।)

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