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शराब नीति के खिलाफ उमा भारती के फेंके पत्थर को कांग्रेस ने बना लिया सियासी हथियार

भोपाल. करीब एक महीने पहले भोपाल की एक शराब दुकान पर पत्थर फेंक कर शराबबंदी आंदोलन का आगाज करने वाली भाजपा की वरिष्ठ नेत्री, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा था “यह पत्थर एक चेतावनी है, एक शुरुआत है, जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी निभाएं, नहीं तो एक बड़ा जन आंदोलन का रूप ले लेगा”.

उनकी यह चेतावनी अब सच साबित होते दिख रही है. उमा भारती के पत्थर फेंकने के बाद सागर, रायसेन, भोपाल, इंदौर समेत कई स्थानों पर महिलाएं, बच्चे शराब दुकानों के खिलाफ सड़क पर उतर चुके हैं.

उनकी जुबां पर नारे, हाथों में झंडे, डंडे, पत्थर हैं. कई जगह विरोध प्रदर्शनों के बीच कानून व्यवस्था की स्थिति भी निर्मित होने लगी है. खास बात यह भी है कि सरकार की शराबनीति के खिलाफ उमा के फेंके पत्थर को कांग्रेस ने लपकते हुए अपना सियासी हथियार बना लिया है.
शिवराज-उमा के बीच टकराहट की आंच में वह अपनी खिचड़ी पका रही है. मप्र में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इसे चुनावी मुद्दा भी बना सकती है.

बता दें कि दिल्ली और छत्तीसगढ़ में भाजपा जनता पार्टी के कार्यकर्ता मध्यप्रदेश जैसी ही शराबनीति को लेकर सड़कों पर वहां की सरकारों की खिलाफत कर रहे हैं, लेकिन यहां पार्टी में चुप्पी है.

उमा भारती पिछले दो साल से शराबबंदी को लेकर अभियान छेड़ने की बात कर सूबे की शिवराज सिंह सरकार को घेर रही हैं. बीच-बीच में उनसे मुलाकात कर, बात कर मामले को शांत कर देते थे, लेकिन अब यह दोनों नेता इस मुद्दे पर आमने-सामने आ गए हैं.
उमा भारती के कानून तोड़ते हुए शराब दुकान पर पत्थर फेंकने की घटना के बाद तो उनके साथ मुख्यमंत्री शिवराज के साथ संवाद भी नहीं हुआ है.

शराबनीति को लेकर सबसे पहले उमा ने घेरा

1 अप्रैल को जब शिवराज सरकार ने अपनी नई शराब नीति घोषित की, तो सबसे पहले उन्हें अपनी ही पार्टी की सांसद उमा भारती की आलोचना का सामना करना पड़ा.
उमा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “मध्यप्रदेश की नई शराबनीति में यह व्यवस्था सुनिश्चित की गई है कि लोगों को ज्यादा शराब कैसे पिलाई जाए, अहातों में ज्यादा शराब कैसे परोसी जाए. मध्यप्रदेश में नारी शक्ति इसका विरोध कर रही है.
इस मसले पर मैं मध्य प्रदेश की महिलाओं, बेटियों के साथ हूं. शराबखोरी का शिकार हो गए बेटों के लिए भी चिंतित हूं. महिलाओं व बेटियों की इज्जत और बेटों की जान पर खेलकर हम राजस्व कमा रहे हैं, इस पर शर्मिंदा भी हूं”.

शिवराज के तेवर भी सख्त

इसके ठीक बाद उज्जैन में, फिर नर्मदापुरम में आयोजित कार्यक्रमों में शिवराज सिंह ने स्पष्ट शब्दों में घोषणा कर दी कि मध्यप्रदेश में किसी भी हालत में मध्यप्रदेश में शराबबंदी नहीं होगी. अगर दारू बंद करने से लोग पीना छोड़ देते, तो हम कब ये काम कर देते.

लेकिन हम समाज को सुधारेंगे, नशा मुक्ति के लिए अभियान चलाएंगे. शराब से घर तबाह होता है,. जब लोग मन से इस बात को मान लेंगे, समझ लेंगे, तो खुद शराब पीना छोड़ देंगे, शराब दुकानें खुद बंद हो जाएंगी. सरकार शराबबंदी नहीं करेगी. हम सब प्रयास करेंगे तो प्रदेश धीरे-धीरे नशा मुक्त हो जाएगा.

सरकार का खजाना खाली, ढाई लाख करोड़ कर्ज, कैसे हो शराबबंदी ?

गौरतलब मध्यप्रदेश सरकार का खजाना खाली है, वह कर्ज पर कर्ज लिए जा रही है. सरकार को बड़ा राजस्व शराब के जरिए मिलता है. इसलिए वह इसे बंद नहीं कर सकती. कोरोना काल में तो सरकारी खजाने की हालत और भी पतली हो गई है. अब तक सरकार पर यह कर्ज बढ़कर ढाई लाख करोड़ सेे भी ज्यादा हो चुका है.

2020 के वित्तीय वर्ष तक मप्र का हर व्यक्ति 29 हजार रुपए का कर्जदार था, जो हर साल औसतन 4 हजार रुपए की दर से आगे बढ़ रहा है. इस हिसाब से वित्तीय वर्ष 2021-22 तक प्रत्येक व्यक्ति 37 हजार रुपए से ज्यादा का कर्जदार हो चुका है.भले ही यह कर्ज आपने नहीं लिया, लेकिन आपके नाम पर सरकार ले रही है.

13 मार्च को फेंका था उमा ने पहला ‘पत्थर’

बता दें कि 8 से 15 मार्च तक जब अंतराष्ट्रीय महिला सप्ताह मनाया जा रहा था, तब 13 मार्च को भाजपा सांसद उमाभारती भोपाल के बीएचईएल बरखेड़ा पठानी के आजाद नगर इलाके में महिलाओं, लोगों के साथ एक शराब दुकान पहुंची थीं और बाहर पड़ा एक पत्थर फेंक शराब की कुछ बोतलें तोड़ दी थीं.
उन्होंने यह कहते हुए सीधे सरकार और कानून को चुनौती दी थी कि अगर यह कानूनन अपराध है तो हां, जनहित में मैंने यह अपराध किया है. इसे शुरुआत बताते हुए उन्होंने इस ‘पत्थर’ के जन आंदोलन बन जाने की चेतावनी भी दी थी.

कई जगह शराब दुकानों के खिलाफ प्रदर्शन

उमा भारती की मार्च में कही यह बात सही साबित हो रही है. वह शराबखोरी से परेशान और जागरूक महिलाओं की रोल मॉडल बन गई हैं. भोपाल के गोविंदपुरा, खजूरी कलां, अवधपुरी, मनीषा मार्केट, बेरसिया सहित कई इलाकों में रातों-रात खुली शराब दुकानों के खिलाफ महिला, बच्चे और उनके परिजनों के साथ सड़कों पर उतर आए हैं.
सागर के देवरी, रायसेन, इंदौर के बिचौली मर्दाना इलाके में भी लोग नई शराब दुकाने खुलने के विरोध में सड़कों पर उतर आएं. प्रदेश भर से इस तरह के आंदोलनों की खबरें आना तेज हो गई हैं. कई जगह कानून-व्यवस्था और पुलिस, शराब कारोबारियों से झड़पें भी सामने आई हैं.

तनातनी का फायदा कांग्रेस उठा रही

शराबबंदी के मुद्दे को लेकर शिवराज सरकार और उमा भारती के बीच तनातनी का फायदा कांग्रेस उठा रही है और सरकार पर हमला बोल रही है. कांग्रेस नेता, पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने शिवराज सिंंह पर सीधा हमला बोलते हुए कहा है कि बेटे-भांजे-भांजियों की बात करने वाला मामा बच्चों को नशेड़ी बनाना चाहता है.
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