रेरा की मंजूरी न मिलने से कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट अटके,इंदौर के 150 से अधिक अधर में

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sadbhawnapaati
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रियल इस्टेट का कारोबार वैसे तो तीन-चार सालों से लगातार मंदी का शिकार रहा। नोटबंदी के बाद से ही रियल इस्टेट कारोबार पर मंदी छाई रही। रही-सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी। हालांकि गत वर्ष भी 1 जून से ही लॉकडाउन के बाद अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की गई थी और कुछ समय बाद निर्माण कार्यों को भी मंजूरी दी गई। वहीं एकाएक रियल एस्टेट के कारोबार में तेजी भी देखी गई। खासकर छोटे भूखंडों की टाउनशिप-कालोनियों में अच्छी खरीद-फरोख्त हुई और बड़ी संख्या में रजिस्ट्रियां भी करवाई गईं। लेकिन अभी अप्रैल से फिर कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप शुरू हो गया, जिसके चलते रियल इस्टेट की गतिविधियां ठप पड़ गईं। दरअसल पहले तो शासन ने रेरा के तत्कालीन चेयरमैन के साथ दो तकनीकी सलाहकार और एक आईटी सलाहकार को हटा दिया और महीनों बाद नियुक्तियां की। इसके चलते न तो नए प्रोजेक्टों की सुनवाई हुई और न ही रजिस्ट्रेशन कर मंजूरी दी जा सकी, जिसके चलते आवासीय, व्यावसायिक व अन्य सभी तरह के प्रोजेक्ट ठप पड़ गए। जिनके पास पहले से मंजूरी थी उन्हीं साइटों पर काम शुरू हुआ, लेकिन वह भी कफ्र्यू-लॉकडाउन के कारण बंद पड़ा था।

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 अब 1 जून से निर्माण कार्यों को मंजूरी दी है, मगर उसमें यह शर्त लगा दी कि मजदूरों को निर्माण कार्य साइट पर ही ठहराना पड़ेगा। इस संबंध में क्रेडाई का भी कहना है कि अधिकांश बाहरी मजदूर लॉकडाउन लगते ही गांव चले गए और अब स्थानीय मजदूर बचे हैं, उन्हें कैसे साइटों पर ठहराया जा सकता है?
इंदौर के ही 150 से अधिक कंस्ट्रक्शन से संबंधित प्रोजेक्ट ठप पड़े हैं। अभी जो 1 जून से अनलॉक (Unlock)  की प्रक्रिया शुरू की गई उसमें निर्माण कार्यों को सशर्त मंजूरी दी गई है, जिसमें कहा गया है कि सभी मजदूरों को निर्माण साइट पर ही ठहराने की व्यवस्था करना पड़ेगी।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।