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एक जैसे सबूत और समान भूमिका के लिए अदालतें आरोपियों में भेदभाव नहीं कर सकतीं – सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर दोषियों के खिलाफ एक जैसे सबूत हैं और दोनों की अपराध में भूमिका भी बराबर है तो अदालतें दोनों के बीच अंतर नहीं कर सकतीं। सुप्रीम कोर्ट ने डकैती और हत्या के चार आरोपियों को रिहा करते हुए यह टिप्पणी की। चारों को अदालत से 10-10 साल जेल की सजा मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां सबूत समान हैं और भूमिका भी तो वहां आरोपियों के मामले ‘समानता के सिद्धांत’ से शासित होंगे।

क्या है मामला
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने डकैती और हत्या के एक आरोपी को रिहा कर दिया। बता दें कि डकैती और हत्या के आरोपी संख्या छह जावेद शौकत अली कुरैशी ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया कि इस मामले में कुल 13 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाया गया और सात आरोपियों को निचली अदालत ने दोषी ठहराया। उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि की पुष्टि की लेकिन सजा को आजीवन कारावास से घटाकर 10 साल कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि अगस्त 2018 में मामले के तीन आरोपियों को रिहा कर दिया गया था, जबकि एक अन्य आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया गया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समान सबूत और समान भूमिका के बावजूद एक आरोपी को रिहा कर दूसरे को दोषी नहीं ठहरा सकती।

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