देश की 15वीं राष्ट्रपति के तौर पर द्रौपदी मुर्मू ने ली शपथ, 18 मिनट का रहा उनका पहला संबोधन

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देश। द्रौपदी मूर्मु ने देश की 15वीं राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ले ली है। सोमवार की सुबह संसद के सेंट्रल हॉल में शपथ लेने के बाद उनका पहला संबोधन 18 मिनट का रहा। हरे लाल बॉर्डर वाली सफेद रंग की संथाली साड़ी। पैरों में चप्पल और विनम्र मुस्कान। कुछ यूं ही शपथ समारोह में नजर आईं देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यानी सीजेआई एनवी रमन्ना ने उन्हें शपथ दिलाई। इस दौरान निवर्तमान रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर देश के कई बड़े नेता, कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री मौजूद रहे।  नई राष्ट्रपति के शपथ समारोह की कई तस्वीरें तेजी से वायरल हो रहीं हैं। लोग राष्ट्रपति की सरलता और मुस्कान की तारीफ कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनपी रमन्ना ने उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। इस दौरान द्रौपदी मुर्मू ने जो हरे-लाल बॉर्डर वाली सफेद रंग की साड़ी पहनी थी, इसे संथाली साड़ी कहा जाता है। ये संथाली साड़ी हैंडलूम यानी हाथ से बनी होती है। बुनकर रंगीन धागों से साड़ी बनाते है। यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपने के अनुरूप है।

अपने 18 मिनट के संबोधन में उन्होंने गरीब से लेकर युवा और महिलाओं तक का जिक्र किया। इतिहास से लेकर आजाद भारत के विकास की यात्रा पर प्रकाश डाला। बोलीं, ‘मेरे लिए देश के युवाओं और महिलाओं का हित सर्वोपरि होगा।’

भारत की उपलब्धियों का बखान करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ ही दिन पहले भारत ने कोरोना वैक्सीन की 200 करोड़ डोज लगाने का कीर्तिमान बनाया है। इस पूरी लड़ाई में भारत के लोगों ने जिस संयम, साहस और सहयोग का परिचय दिया, वो एक समाज के रूप में हमारी बढ़ती हुई शक्ति और संवेदनशीलता का प्रतीक है। उन्होंने कहा – एक संसदीय लोकतंत्र के रूप में 75 वर्षों में भारत ने प्रगति के संकल्प को सहभागिता एवं सर्व-सम्मति से आगे बढ़ाया है। विविधताओं से भरे अपने देश में हम अनेक भाषा, धर्म, संप्रदाय, खान-पान, रहन-सहन, रीति-रिवाजों को अपनाते हुए ‘एक भारत – श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण में सक्रिय हैं।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।