लेखक की गलती पर संपादक पर मुकदमा नहीं : सुप्रीम कोर्ट

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित की खंडपीठ ने इंडिया टुडे समूह के अध्यक्ष अरुण पुरी के खिलाफ दायर मानहानि का मामला खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा किसी लेखक के लेख में गलती के लिए संपादक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। नाही ऐसे मामले में संपादक के ऊपर कोई केस चलाया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने लेख लिखने वाले पत्रकार को किसी भी तरह की राहत देने से इंकार कर दिया है। 
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से अब समाचार और लेख इत्यादि लिखने वाले पत्रकारों पर सीधे जिम्मेदारी आ गई है। इस निर्णय के बाद संपादकों पर अब इस तरह का कोई प्रकरण दायर नहीं किया जा सकेगा।
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।