Education News – सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की नीट-पीजी ईडब्ल्यूएस मानदंड स्पष्टीकरण संबंधी याचिका, कहा- जो तय होगा, वही लागू होगा

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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Education News. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नीट-पीजी 2022-23 के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस कोटे के मानदंड के स्पष्टीकरण मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
नीट पीजी उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट से नीट पीजी 2022-23 की सूचना पुस्तिका में ईडब्ल्यूएस कोटे की आठ लाख रुपये आय सीमा मानदंड के लिए स्पष्टीकरण जारी करने की मांग की थी। इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।

याचिका दायर करने वाले एमबीबीएस छात्रों ने कोर्ट से केंद्र को निर्देश देने की मांग की थी कि नीट इनफार्मेशन बुलेटिन में यह लिखा जाए कि एआईक्यू में शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए ईडब्ल्यूएस मानदंड संशोधित आरक्षण नीति 27 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं के फैसले के संदर्भ में तय किया जाएगा।

उन्होंने 11 फरवरी, 2022 से करेक्शन विंडो की तारीख बढ़ाने और लंबित मामले में अंतिम निर्णय के बाद उम्मीदवारों को ईडब्ल्यूएस श्रेणी चयन का विकल्प देने के लिए भी मांग की थी।

कोर्ट के आदेशानुसार होंगे ईडब्ल्यूएस मानदंड

सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि हमने अगले शैक्षणिक सत्र के लिए ईडब्ल्यूएस मानदंड निर्धारित करने की प्रक्रिया को नहीं रोका है।
ईडब्ल्यूएस कोटा मानदंड कोर्ट के आदेश के अनुसार होगा। हमने मामले को मार्च में निपटाने के लिए रखा है। प्रक्रिया रुक नहीं सकती। मामले में जो तय होगा, वही लागू होगा।

हम करेक्शन विंडो को विस्तार नहीं दे सकते 

वहीं, छात्रों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कोर्ट से गुजारिश की कि उन्हें ईडब्ल्यूएस मानदंड के उपयोग पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है क्योंकि अगले शैक्षणिक वर्ष के लिए कुछ समान मानदंड लागू होंगे। वहीं, छात्रों की ओर से पेश अन्य अधिवक्ता चारु माथुर ने ईडब्ल्यूएस मानदंडों के संबंध में ऑनलाइन फॉर्म में एडिटिंग ऑप्शन के लिए समय-सीमा बढ़ाने की मांग की।
इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि हम करेक्शन विंडो को विस्तार नहीं दे सकते हैं और अगर इस संबंध में अधिकारियों ने कोई फैसला किया है, तो वैसा ही होना चाहिए।

कोर्ट फैसला लेगा, तो वही निर्देश देगा

पीठ ने कहा कि समय-सीमा बढ़ाने के मामले में जो कुछ भी होगा, वह सरकार तय करेगी।
वहीं, जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत में लंबित मामले के बारे में नीट पीजी की विवरणिका में उल्लेख नहीं किया गया है। इस पर, पीठ ने सवाल उठाते हुए कहा कि इंफॉर्मेशन बुलेटिन में ऐसा क्यों उल्लेख किया जाए? जब मामले में कोर्ट फैसला लेगा, तो वही निर्देश देगा।
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