NDTV पर अडानी के कब्जे का असर : रवीश कुमार ने दिया इस्तीफा, अब प्राइम टाइम पर कभी नहीं सुनाई देगा ‘नमस्कार मैं रविश कुमार’

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चैनल के संस्थापक प्रणय रॉय और राधिका रॉय का भी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से इस्तीफा

नई दिल्ली। स्वतंत्र मीडिया की छवि वाले एनडीटीवी पर अडानी के कब्जे का असर दिखना शुरू हो गया है। एनडीटीवी के सबसे चर्चित पत्रकार रवीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया है।

‘मै रवीश कुमार’ शायद यह आवाज अब आपको टीवी स्क्रीन पर सुनाई नहीं देगा। आप जितनी गाली दे, देशद्रोही कहे, मुल्ला मिया कहे लेकिन जब जब मोदी को देश याद करेगा साथ में रवीश भी खड़े होगे। इतिहास जैसे भी लिखा जाए मोदी का इतिहास रवीश कुमार के बगैर लिखा ही नहीं जा सकता है। और बात अगर देश कि करे तो जब जब गंगा जमुनी संस्कृति को बनाये रखने के लिए किसी एक व्यक्ति की चर्चा होगी तो उसमें रवीश कुमार भी होंगे। और बात जब पत्रकार और पत्रकारिता कि होगी तो वहां भी रवीश कुमार उसी अंदाज में मुस्कुराते हुए कहते दिखेंगे मैं रवीश कुमार। जिस अंदाज में पांच वर्षों तक विश्वविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था और बेरोजगारी जैसे मुद्दों के सहारे आम लोगों की आवाज बने रहे, यह भी कम बड़ा प्रयोग नहीं था।
समय के साथ जनता ये सारी बातें भूल जाये लेकिन ‘मैं रवीश कुमार’ यह आवाज तब तक गूंजती रहेगी जब तक यह संसार रहेगा और एक पत्रकार अपनी आवाज और खबर के सहारे कितनी दूर तक पहुंच सकता है कोई रवीश से सीखे ।

चैनल के भीतर एक इंटरनल मेल के माध्यम से रवीश के इस्तीफे की जानकारी दी गई है। इससे एक दिन पहले एनडीटीवी के संस्थापक प्रणय रॉय और राधिका रॉय भी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से इस्तीफा दे चुके हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार एनडीटीवी ग्रुप की प्रेसिडेंट सुपर्णा सिंह ने इस मेल में लिखा है कि, ‘रवीश जितना लोगों को प्रभावित करने वाले कुछ ही पत्रकार हैं। यह उनके बारे में अपार प्रतिक्रिया में परिलक्षित होता है; वो भीड़ जिन्हें वे अपने इर्द-गिर्द जमा करते हैं, भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें मिले प्रतिष्ठित पुरस्कारों और पहचान में; और उनकी हर दिन की रिपोर्ट में, जो उन लोगों के अधिकारों और जरूरतों को पूरा करता है जो सेवा से वंचित है।’

सुपर्णा सिंह ने अपने इस मेल में आगे लिखा है कि, ‘रवीश दशकों से एनडीटीवी का एक अभिन्न हिस्सा रहे हैं.. उनका योगदान बहुत अधिक रहा है, और “हम जानते हैं कि जब वह एक नई शुरुआत कर रहे हैं, वे बेहद सफल होंगे।’ रवीश कुमार देश की आम जनता को प्रभावित करने वाले जमीनी मुद्दों की जबरदस्त कवरेज के लिए जाने जाते हैं। उन्हें दो बार रामनाथ गोयनका उत्कृष्टता और 2019 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

दरअसल, बीते 23 अगस्त को गौतम अडानी की अगुवाई वाले अडानी समूह ने एनडीटीवी में 29.18 प्रतिशत हिस्सा अधिग्रहित कर लिया था। तभी अडानी ग्रुप ने एनडीटीवी में और 26 फीसदी हिस्सेदारी के लिए मार्केट में ओपन ऑफर लाने का ऐलान किया था। इसी कड़ी में अडानी ग्रुप बीते 22 नवंबर को ओपन ऑफर लाया था, जो आगामी 5 दिसम्बर तक खुला है। अडानी की एंट्री के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे की रवीश कुमार इस्तीफा दे देंगे।

बता दें कि एनडीटीवी एक प्रमुख मीडिया हाउस है जो एनडीटीवी 24×7, एनडीटीवी इंडिया और एनडीटीवी प्रॉफिट नाम के तीन राष्ट्रीय चैनलों का संचालन करती है। एनडीटीवी कि छवि स्वतंत्र मीडिया घराने रूप में रही है। अपने आलोचनात्मक दृष्टिकोण के लिए एनडीटीवी दर्शकों के बीच मशहूर है। हालांकि, प्रणव और राधिका रॉय और रवीश कुमार के इस्तीफे के बाद एनडीटीवी के दर्शकों का मानना है कि यह चैनल भी अब कॉरपोरेट के कब्जे में चला गया। ऐसे में अब चैनल का फोकस जनहित के मुद्दों को उठाने के बजाए व्यवसाय पर ज्यादा रहेगा।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।