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sadbhawnapaati
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*#यू_डिजर्व_इट !!!*

आज किसानों का भारत बंद है कुछ दिन पहले बैंक बंद था। उससे पहले युवाओं,छात्रों,व्यापारियों और सरकारी कमर्चारियों ने अलग अलग अवसरों पर खूब बंद और प्रदर्शन किये लेकिन कुछ फर्क पड़ा क्या ?? सरकार की नीतियां और निर्णय बदले क्या ?? 56 इंची सरकार अपने निर्णय से एक इंच भी पीछे हटी क्या ?? लेकिन क्यों नहीं हटी ??
इसी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में नोटबंदी और जीएसटी (गलत अनुकरण) जैसी गलतियां की लेकिन क्या हुआ ?? जिस सूरत में सबसे ज्यादा विरोध हुआ के वहां बीजेपी स्वीप कर गई.. इस अदभुत रिजल्ट के बाद नोटबन्दी के फैल होने पर चौराहे पर आने वाले का वादा करने वाले साहब बड़ी बेशर्मी से मुसकराते हुए बोलते है औऱ उनके अंध भक्त सारे व्यापारीयो को कहते है यू डिजर्व इट !!!
2017 में यूपी और 2019 के चुनावो में छप्पर फाड़ सफलता के बाद साहब को एक बात अच्छे से समझ आ गई थीी, भारत की जनता चुनावों के समय आथिर्क मुद्दों पर कभी वोट नही देती हैै। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दे पर कभी सरकार नही बदलेगी वो जानते थे।इसलिए विकास के घोर पूंजीवादी गुजरात मॉडल को वो पूरे देश मे लागू कर रहे हैै। वो एक पैरेलल वोटबैंक खड़ा कर रहे है जो अर्थव्यवस्था की सफलता और असफलता से बिलकुल भी अपना मत नही बदलेगा !!! और हर चुनाव के बाद दूसरे वोटर को बोलेगा यू डिजर्व इट !!!

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सन 2002 से गुजरात मे मोदी के पहले चुनाव के बाद बीजेपी एक राजनीतिक पार्टी की जगह आदमी को वोट में बदल देने वाली मशीन बनकर रह गई है वो हर चुनाव को बाद अगले चुनाव की तैयारी में लग जाती है अमित शाह का बिहार चुनाव के दौरान बंगाल पहुँचना इसका उदाहरण है साहब के लिए लोकतंत्र का मतलब चुनाव है इसलिए वो सारे काम चुनावो को ध्यान रखते हुए ही करते है क्योकि वो जानते है अंत में कौन जीतता है वो ही मेटर करता है इसलिए उन्होंने अपने नेतृत्व में लड़ा गया एक भी चुनाव नही हारा है बिकाज ही ऑलवेज नो इंडियन वोटर डिजर्व इट !!!
आज बेरोजगारी, महँगाई और मंदी अपने चरम है सरकार की आर्थिक नीतियां दिशाहीन है सरकार एक तरफा निजीकरण की औऱ बढ़ रही है पर सरकार को कोई फिक्र नही है क्योंकि वो जानती है कि वोट देते समय किसान, छात्र, व्यापारी और बेरोजगार धर्म , जात औऱ वर्ग के हिसाब से वोट करेंगे.भारत के लोगो की मेमोरी बहुत शार्ट है एक भारत पाकिस्तान का मैच होगा औऱ वो सब भूल जायँगे जब बिहार के मजदूर लाकडाऊन के दौरान हुआ पलायन भूल सकते है गुजरात के व्यापारी नोटबन्दी भूल सकते है तो किसान आंदोलन क्या चीज है वो भी देर सबेर भूल ही जायगे !!!!
बहुत से लोग कहते है वोट देना किसी का निजी मामला है मैं भी यही मानता हूँ जब आपने सरकार की सारी नीतियों के बारे में सबकूछ जानते हुए एक नही दो-दो बार मोदी जी को वोट दिया है तो कुछ सोच के ही दिया होगा औऱ आपको उसके परिणाम भी पता होंगे जब सब कुछ जानते हुए भी आप उन्हें अपना मत बार बार दे रहे है… देन यू डिजर्व इट 😃😃 *#घोरकलजुग #डाटावाणी अपूर्व भारद्वाज*

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