आज खुलेगी ईवीएम में कैद गुजरात और हिमाचल की किस्मत
नई दिल्ली। कांग्रेस भले ही ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर पूरा ध्यान केंद्रित किए हुए है, लेकिन वह गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों के लिए को होने वाली मतगणना में अपने लिए बेहतर नतीजों की उम्मीद कर रही है. देश की सबसे पुरानी पार्टी लगातार सिमटते अपने जनाधार को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है. ऐसे में अगर उसे हिमाचल प्रदेश में जीत मिलती है और गुजरात में आम आदमी पार्टी की मौजूदगी के बावजूद मुख्य विपक्षी दल बनी रहती है तो यह उसके लिए बहुत ही सुखद स्थिति रहेगी.
कांग्रेस का संकट उस स्थिति में और गहरा सकता है, अगर वह हिमाचल प्रदेश की सत्ता में आने में विफल रहती है और गुजरात में मुख्य विपक्षी दल का स्थान खो देती है. कांग्रेस को बुधवार को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब दिल्ली नगर निगम के चुनाव में उसे सिर्फ नौ सीटें मिली. आम आदमी पार्टी को 134 और भारतीय जनता पार्टी को 104 सीटें हासिल हुईं.
गुजरात-हिमाचल पर सभी की निगाहें
सोमवार को कई समाचार चैनलों द्वारा दिखाए गए एग्जिट पोल में अनुमान लगाया गया है कि गुजरात में भाजपा को बड़ी जीत हासिल होगी, तो हिमाचल में नतीजा भाजपा और कांग्रेस के बीच किसी के भी पक्ष में जा सकता है. कांग्रेस के लिहाज से सबसे अच्छी स्थिति यही होगी कि हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यीय विधानसभा में उसे बहुमत मिले और गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में उसे सम्मानजनक सीटें हासिल हों.
हिमाचल प्रदेश में अगर कांग्रेस जीतती है तो उसके लिए यह एक संजीवनी होगी, क्योंकि लंबे समय बाद उसे अपनी बदौलत किसी राज्य की सत्ता मिलेगी. फिलहाल उसकी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकारें हैं. कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता संजय झा का कहना है कि हिमाचल प्रदेश की जीत कांग्रेस के लिए हौसला बढ़ाने वाली होगी.
इन चुनावों में एक संभावना है कि कांग्रेस हिमाचल प्रदेश जीत जाए, लेकिन गुजरात में बुरी तरह हार का सामना करना पड़े. यह स्थिति उसके लिए इस लिहाज से राहत देने वाली होगी कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर ध्यान केंद्रित करने के बावजूद किसी राज्य में चुनाव जीत सकती है, लेकिन गुजरात में बुरी हार से विपक्षी खेमे में उसकी भूमिका और कमजोर हो सकती है.