दिग्गज ई-फार्मेसी कंपनियों 1Mg, रिलायंस, अमेजन, फ्लिपकार्ट पर मनमानी करने का आरोप, कार्रवाई की मांग – CAIT 

sadbhawnapaati
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कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने ई-फार्मेसी कंपनियों पर मनमानी करने का आरोप लगाया है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने सोमवार को ऑनलाइन फार्मेसी व्यापार में किए जा रही गड़बड़ी का मुद्दा उठाया और सरकार से इन दिग्गज कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
सीएआईटी ने लगाए ये आरोप
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने आरोप लगाया कि मुख्य रूप से Pharmeasy, Medlife, 1Mg, Netmeds (रिलायंस के स्वामित्व वाली ई-फार्मेसी कंपनी), अमेजन और फ्लिपकार्ट (वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली कंपनी) जैसी बड़ी कंपनियां अपने मनमाने ढंग से काम कर रही हैं।
ये कंपनियां ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक अधिनियम 1940 का उल्लंघन भी कर रही हैं।
सीएआईटी ने आरोप लगाया कि ये कंपनियां 30-40 प्रतिशत छूट और मुफ्त शिपिंग जैसे ऑफर्स के साथ प्रोडक्स (मेडिसिन/ कॉस्मेटिक्स) की कीमतों को कभी भी घटा-बढ़ाकर इसका दुरुपयोग कर रही हैं।

लाखों रिटेल केमिस्ट और फार्मासिस्टों की आजीविका के लिए खतरा

सीएआईटी के अनुसार विदेशी दिग्गज अपनी ई-फार्मेसी कंपनियों द्वारा भारी रूप से डंपिंग कर रहे हैं। डर है कि वो भारी रूप से ड्रग्स को स्टोर करने के बाद बिक्री के लिए उतारेंगे, जिससे दवाओं की कीमतों में असर देखने को मिल सकता है, जो देश भर के लाखों-करोड़ों छोटे केमिस्टों के भविष्य के लिए बेहद हानिकारक साबित होगा।
इन बड़ी कंपनियों पर लगाम नहीं लगाई गई तो यह लाखों रिटेल केमिस्ट और फार्मासिस्टों के परिवारों और कर्मचारियों के आजीविका के लिए खतरा बन जाएगा।
नहीं फिक्स हो पा रही प्राइस
सीएआईटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि ई-फार्मेसी के तेजी से बढ़ने से खुदरा केमिस्टों और वितरकों को भारी कठिनाई हो रही है। कैपिटल डंपिंग और भारी छूट जैसी प्रतिस्पर्धा के कारण प्राइस फिक्स नहीं हो पा रही है।
उन्होंने आगे कहा कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऑनलाइन माध्यम से प्रिस्क्रिप्शन दवाओं और दवाओं की बिक्री अवैध है।
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 कानूनी रूप से प्रिस्क्रिप्शन वाली दवाओं की होम डिलीवरी की अनुमति नहीं देता है, उसके लिए ओरिजनल प्रिस्क्रिप्शन की आवश्यकता होती है।
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