Health News – Covid-19 : कोरोना काल में 25 फीसदी युवा हो रहे हैं मानसिक तनाव के शिकार

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कोरोना काल ने ज्यादातर युवाओं के मन और मस्तिष्क पर बहुत ही बुरा प्रभाव डाला है. मेडिकल जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार यह दावा किया गया है कि इस समय विश्व में युवाओं के अंदर मानसिक परेशानियां पहले की अपेक्षा दोगुनी हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार यह कहा गया है कि हर चार युवाओं में से एक युवा में अवसाद और हर पांच युवाओं में से एक युवा में चिंता और चिड़चिड़ापन देखने को मिला है. कोरोना से पहले इस रिपोर्ट के अनुसार हर 10 युवाओं में से एक युवा अवसाद से ग्रस्त था. यह रिपोर्ट अलग-अलग देशों में हुई अध्ययन को शामिल करके तैयार की गई है. इस रिपोर्ट में किशोरावस्था के बच्चों और युवाओं यानी 20 से 40 की उम्र वालों को शामिल किया गया है जिनके अंदर मानसिक तनाव या अवसाद के लक्षण देखने को मिल रहे हैं.

 

डिप्रेशन को कैसे पहचाने
दिल्ली के डॉ. ओमप्रकाश का कहना है कि डिप्रेशन के कई लक्षण होते हैं.  कई लक्षणों के समूह को डिप्रेशन कहा जाता है. जब लोगों का मन लगातार उदास रहने लगता है और वह एक सप्ताह तक ऐसा ही बना रहता है और किसी भी काम में मन नहीं लगता है. छोटी-छोटी काम बहुत बड़ी लगने लगती है और बात पर बात आंखे भर आती है. व्यक्ति को ये ऐहसास होता है कि अब कुछ नहीं होगा. बेबस और असहाय महसूस करते हुए वो तब डिप्रेशन का शिकार होता है. कुछ लोगों को डिप्रेशन होता है लेकिन वह खुद भी सकारात्मक सोच के साथ डिप्रेशन से बाहर निकाल लेते हैं और कई लोगों में शुरुआत होता और वह हाई लेवल तक पहुंच जाता है. ऐसे में अस्पताल में लोग तब पहुंचते हैं जब वह पूरी तरह से डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं या फिर उन्हें सुसाइड का ख्याल आने लगता है.

 

रिपोर्ट के अनुसार इस वक्त आर्थिक अस्थिरता, पारिवारिक नुकसान, लंबे समय से बंद स्कूल-कॉलेज, अपनों से सामाजिक दूरी, खेल गतिविधियों पर पाबंदी आदि के कारण युवाओं में सबसे ज्यादा नकारात्मकता और मानसिक तनाव देखने को मिल रहा है. कोरोना काल में सबसे ज्यादा अवसाद या नकारात्मक भाव उन लोगों में देखने को मिला जिन्होंने अपनों को खोया है. अपनों से इमोशनल अटैचमेंट के वजह से उनके अंदर काफी तनाव देखने को मिल रहा है. हालाँकि कोविड महामारी ने सभी को प्रभावित किया है. ऐसे में लोगों को हमेशा बेहतर सोचना चाहिए. जैसे-जैसे कोविड के यह हालात ठीक होंगे ये डिप्रेशन भी स्वतः ठीक हो जाएगा.

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।