MP Nursing News – मध्यप्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल की काउंसलिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और लापरवाही पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस संजीव साचदेवा और विनय सराफ की खंडपीठ ने याचिका संख्या 8289/2025 (मुस्कान शेख बनाम रजिस्ट्रार और अन्य) पर सुनवाई करते हुए काउंसिल को याचिकाकर्ता की 19 फरवरी 2025 की शिकायत का चार सप्ताह में निपटारा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने काउंसिल की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए 2024-25 सत्र की काउंसलिंग के बाद भरी और रिक्त सीटों का विवरण वेबसाइट पर तत्काल प्रकाशित करने का निर्देश दिया। यह फैसला नर्सिंग शिक्षा में काउंसिल की जवाबदेही की कमी को उजागर करता है।
हाईकोर्ट के आदेश से सामने आए आंकड़े काउंसिल की नाकामी की पोल खोलते हैं। बीएससी नर्सिंग की 10824 सीटों में से मात्र 2862 पर प्रवेश हुआ, जिससे 74 प्रतिशत सीटें (7962) रिक्त हैं। जीएनएम कोर्स की 8388 सीटों में से केवल 169 पर प्रवेश हुआ, जिससे 98 प्रतिशत सीटें (8219) खाली हैं। एमएससी नर्सिंग में 1515 सीटों में से 431 पर प्रवेश के बाद 1084 सीटें रिक्त हैं। पीबीबीएससी में 3409 सीटों में से 472 पर प्रवेश हुआ, और 2937 सीटें खाली हैं। एएनएम कोर्स में 1035 सीटों में से 223 पर प्रवेश के बाद 812 सीटें रिक्त हैं। इतनी बड़ी संख्या में रिक्त सीटें काउंसलिंग प्रक्रिया में गंभीर खामियों और काउंसिल की उदासीनता को दर्शाती हैं।
याचिकाकर्ता के वकील अजित सिंह जाटव ने तर्क दिया कि काउंसिल ने सीटों का विवरण सार्वजनिक नहीं किया, जिससे छात्रों को प्रवेश प्रक्रिया में भटकना पड़ रहा है। उन्होंने काउंसिल की अपारदर्शी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। सरकारी वकील प्रवीण नामदेव ने काउंसिल का बचाव किया, लेकिन कोर्ट ने उनकी दलीलों को नजरअंदाज करते हुए काउंसिल को जवाबदेही सुनिश्चित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले में मेरिट पर कोई राय नहीं दी गई, और सभी पक्षों के अधिकार सुरक्षित हैं। यह आदेश नर्सिंग शिक्षा में प्रवेश प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। काउंसिल की इस लापरवाही से हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है, और कोर्ट का यह कड़ा रुख भविष्य में ऐसी गलतियों को रोकने में मदद करेगा।