कहानी शहर के सुदामा नगर में रहने वाले डिटेक्टिव धीरज दुबे की। 2 अगस्त को उनका महंगा मोबाइल चोरी हो गया। घर में लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले। बाहरी कोई व्यक्ति नजर नहीं आया। उन्हें घर में काम करने वाली बाई की 16 साल बेटी पर शक हुआ।
इसके बाद उन्होंने द्वारकापुरी थाने में आवेदन दिया। पुलिस मोबाइल चोरी की घटनाओं पर गंभीरता नहीं बरतती, इस केस में भी ऐसा ही हुआ। इसके बाद धीरज ने खुद पड़ताल की तो पता चला कि बाई की लड़की 2 अगस्त से ही गायब थी। उसे बुलाकर बातों में उलझाया गया। पहले तो वह इंकार करती रही। सामाजिक बदनामी और भविष्य बर्बाद होने की बात आते ही वह घबरा गई। बोली, पापा के पास फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे। मोबाइल चुराकर एक दोस्त को दिया था। उसने ढाई हजार रुपए में एक दुकान पर गिरवी रख दिया।
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