इंदौर ने निभाई अपनी 137 साल पुरानी परंपरा, धूमधाम से निकला रणजीत हनुमान का स्वर्ण रथ

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sadbhawnapaati
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इंदौर. इंदौर मेें कल सुबह एक लाख लोगों से ज्यादा की भीड़ जुट गई। जगह-जगह मंच सजे थे। कोई सूखे मेवे बांट रहा था तो कोई चाय पिला रहा था। लोग नंगे पैर यात्रा में शामिल होने के लिए आए।

यह नजारा था शुक्रवार को निकली रणजीत हनुमान की प्रभात फेरी का। मंदिर से स्वर्ण रथ पर सवार होकर रणजीत बाबा जैसे ही मार्ग पर निकले।आतिशबाजी से आसमान रंगीन हो गया।

हर तरफ जय रणजीत के जयकारे लग रहे थे। लोग मंच से पुष्प वर्षा करते रहे। आसमान में उड़ रहे ड्रोन भी पुष्प वर्षा कर रहे थे। प्रभातफेरी महूनाका, अन्नपूर्णा रोड, फूठीकोठी चौराहा होते हुए मंदिर पर समाप्त हुई।

इंदौर के पश्चिम क्षेत्र मेें रणजीत हनुमान की प्रभात फेरी की परंपरा 137 साल पुरानी है। कोरोना की वजह से दो साल इस परंपरा को विराम लग गया था, लेकिन शुक्रवार को प्रभात फेरी ने भीड़ के पिछले रिकॉर्ड तोड़ दिए। रणजीत हनुमान मंदिर से लेकर महूनाका तक भीड़ ही भीड़ नजर आ रही थी।

इस बार प्रभात फेरी में डीजे पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था।  प्रभात फेरी में भजन गायकों की संख्या को बढ़ा दिया गया।  तीन बैंड, छोटी भजन मंडलियों (झांझ-मृदंग पर भजन करने वाले), 5100 महिला ध्वज वाहिनी, 101 पुरुष ध्वज वाहक, नासिक की ढोल मंडली प्रभात फेरी में शामिल हुई।

नंगेे पैर शामिल हुए लोग प्रभात फेरी मेें स्वर्ण रथ के आगे राम दरबार की पालकी चल रही थी। पालकी के आगे 12 युवक झाडू लगा रहे थे, ताकि प्रभातफेरी में नंगे पैर चल रहे हजारों लोगों के पैरों में कंकर पत्थर न चुभे। महूनाका चौराहे लगे बड़े मंचों से यात्रा का जोरदार स्वागत हुुुआ,लगातार हो रही आतिशबाजी और भगवा रंग की कतरनों से अलग ही माहौल नजर आ रहा था।

2008 के बाद जुटने लगी भीड़
वर्ष 2008 के पहले तक प्रभातफेरी छोटे रुप में निकलती थी, लेकिन धीरे-धीरे भक्तों की आस्था बढ़ती गई और परंपरा ने भव्य रुप ले लिया। अनंत चतुदर्शी पर निकलने वाली झांकियों के समान भीड़ प्रभात फेरी में जुटने लगी है। 20 वर्ष पहले तक ठेलेगाड़ी पर रणजीत बाबा की तस्वीर रखकर प्रभात फेरी निकाली जाती थी।

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