राऊ तक नहर, लेकिन पानी नहीं
Indore News. करोड़ों रूपए खर्च करके संविद शासन के मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा ने चोरल नदी पर बांध बनवाया था। बांध में 40 से 60 फुट गहराई तक पानी लबरेज रहता है लेकिन उसका उपयोग नहीं हो पाता है। राऊ रंगवासा के पास तक चोरल से चलकर नहर आई है लेकिन राऊ के बाद सूर्य मंदिर के आसपास कालोनियों में कहीं खो गई है। यहां से नहर कहां गई है यह किसी को पता नहीं है। मेंटेनेंस के अभाव में नहर बदहाल है। कई जगह तो सूखी नहर में कचरा पोलिथिन, प्लास्टिक भरा है। राऊ रंगवासा के ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने बरसों से इस नहर में पानी नहीं देखा है। गर्मी में जबकि चोरल डेम में भरपूर पानी रहता है तब इस नहर से राऊ रंगवासा, पिगडंबर नावदा, पानदा, हरसोला सहित करीब पचास से ज्यादा गांवों की सिंचाई की जा सकती है लेकिन ऐसा नहीं होता।
वीरेंद्र कुमार सखलेचा ने मध्यप्रदेश के मालवा के पठार के भाग्य में परिवर्तन के लिए चोरल उद्वहन सिंचाई योजना शुरू की थी। चोरल नदी का पानी बहकर नर्मदा में मिले उसके पचास किलोमीटर पहले ही रोककर उससे सिंचाई की। इस उद्वहन सिंचाई योजना में न अफसरों की रूचि है न ही नेताओं की। कुल मिलाकर सब इस सिंचाई योजना की बर्बादी होते देख रहे हें। जांच का विषय यह है कि राऊ के आगे यह नहर कहां गुम हो गई है। इस नहर को कौन डकार गया है। राऊ रंगवासा रोड पर इस नहर पर बना पुल भी संकड़ा है। सकड़े पुल पर कभी भी कोई दुपहिया या चार पहिया वाहन सूखी नहर में गिर सकता है। इसकी चिंता न तो ग्राम पंचायत रंगवासा को है न ही राऊ नगर परिषद को। इंदौर कलेक्टर कार्यालय में तो पहले चोरल उद्वहन सिंचाई योजना का फोटो बड़े गर्व के साथ लगाया गया था लेकिन अब कहां हैं ?