Indore News. साउथ एशियन मीडिया टीचर्स एशोसिएशन के तत्वाधान में बुधवार को ‘‘मीडिया शिक्षाः चुनौतियां और संभावनाएं‘‘ विषय पर परिसंवाद की श्रंखला के अंतर्गत मध्यप्रदेश में मीडिया शिक्षण विषय पर परिसंवाद का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों का परिचय करवाते हुए शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इन्दौर की प्रो. वन्दना जोशी ने मीडिया शिक्षा की आवश्यकता पर चिंतन की आवश्यकता से अवगत करवाया।
इस अवसर पर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के सहायक प्राध्यापक मनीष काले ने कहा कि मीडिया शिक्षा पर चर्चा और संवाद आज के समय की बहुत बड़ी आवश्यकता है।
मीडिया शिक्षा एवं व्यवहारिक प्रशिक्षण दोनों में समन्वय बहुत आवश्यक है। मीडिया शिक्षकों के लिए चिंतन और संवाद बहुत जरूरी है। विद्यार्थियों के इंडस्ट्री के बुनियादी नियम बताने होंगें।
मीडिया शिक्षा की सबसे बड़ी चुनौती के लिए हमे स्थापित करना पड़ेगा। कि मीडिया एक गंभीर विषय है। मीडिया शिक्षकों को इस दिशा में काम करना है।
मीडिया के विद्यार्थियों को मीडिया के कामध्प्रशिक्षण के लिए तैयार करना होगा। मीडिया शिक्षा के समक्ष बहुत संभावनाऐं मौजूद हैं। मीडिया शिक्षक समाज के लिए सामाजिक सैनिक तैयार करते हैं जो कि पत्रकारों के बतौर समाल में बदलाव के लिए काम करते हैं।
मीडिया शिक्षा को आदर्श रूप देने के लिए हम सभी को काम करना जरूरी है। एशोसिएशन इस तरह के प्रयासों के जरिए मीडिया शिक्षक को और बेहतर करने के लिए प्रयत्न करेगा।
इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया शिक्षक जितेन्द्र जाखेटिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि मीडिया शिक्षा के विद्यार्थियों में कौशल विकास करना अतिआवश्यक है।
उन्होंने कहा कि आज परंपरागत मीडिया सोशल मीडिया डिजिटल प्लेटफार्म्स ने विद्यार्थियों के लिए नए अवसर पैदा किए हैं। जाखेटिया ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा किए विद्यार्थी मीडिया इंडस्ट्री के अनुरूप् प्रायोगिक पहलुओं पर ध्यान दें।
विद्यार्थियों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना मीडिया के शिक्षकों के लिए अनिवार्य है। फेक न्यूज, फैक्ट चैकिंग जैसे नए क्षेत्रों को विद्यार्थियों को सिखाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मीडिया उद्योग में काम की बहुत संभावनाएं मौजूद हैं लेकिन मीडिया शिक्षण संस्थानों को भावी मीडिया प्रोफेशनल्स तैयार करने के उत्तरदायित्व का निर्वाह बेहतरी से करना होगा।
जखोटिया ने कहा कि आज दशकों बाद एक बार फिर प्रिंट मीडिया प्रासंगिक बन गया है। वहीं सोशल मीडिया ने पत्रकारिता के विद्यार्थियों एक नए रोजगार की राह पैदा की है।
इस अवसर पर मीडिया शिक्षण एवं पत्रकारिता से पिछले 3 दशकों से जुड़ी डॉ ममता ओझा ने कहा कि मीडिया शिक्षा को अपने उद्देश्यों की प्राप्ति करने के लिए मीडिया शिक्षकों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि मीडिया शिक्षकों को इंडस्ट्री से जुड़े कौशल विकास के शॉर्ट टर्म कोर्स या रिफ्रेशर कोर्स करना चाहिए। विद्यार्थियों को व्यवहारिक प्रशिक्षण के लिए तैयार करना चाहिए।
डॉ. ओझा ने जोर देते हुए कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है ऐसे में स्कूलों में भी मीडिया शिक्षा अनिवार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा किए आस्ट्रेलिया आदि देशों में स्कूली स्तर से ही मीडिया शिक्षण आरंभ हो गया है इसलिए अब भारत में भी मीडिया साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए स्कूली स्तर से ही मीडिया विषय को आरंभ करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मीडिया एवं मास कम्युनिकेशन विषयों की शिक्षा के लिए हम सभी शिक्षकों को साझे प्रयास करने चाहिए। मीडिया संस्थानों को सिर्फ क्लासरूम टीचिंग ही न हो बल्कि व्यवहारिक प्रशिक्षण का इसमें अनिवार्य समावेश हो।
मीडिया शिक्षा के भविष्य और चुनौतियों पर परिसंवाद और विमर्श की श्रंखला में साउथ एशियन मीडिया टीसर्च एसोशिएसन के इस दूसरे दिन के आयोजन में इस कार्यक्रम में प्रयागराज से डॉ प्रभाशंकर मिश्र, डॉ मनोहर लाल हिमाचल प्रदेश से डॉ. अवधेश यादव, प्रोफेसर कौशल पाण्डे, मेरठ के सुभारतीय विवि. से से डॉ कमल किशोर उपाध्याय, सोलापुर विश्वविद्यालय महाराष्ट्र से डॉ. अंबादास भास्के, प्रो कपिल प्रजापति, डा. प्रमोद सिन्हा, डॉ. रश्मि दीक्षित, दिल्ली से डॉ. सुनील मिश्रा,।अरूणाचल प्रदेश केंद्रीय विवि से डॉ. राजीव रंजन आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम कर संचालन प्रो. वंदना जोशी ने किया। इस अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय कर्मवीर विद्यापीठ परिसर खण्डवा के निदेशक प्रो संदीप भट्ट ने उपस्थित अतिथियों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मीडिया शिक्षा पर इस तरह के सतत् संवाद जारी रखने की आवश्यकता है। साउथ एशियन मीडिया टीचर्स एशेसिएशन इस तरह के प्रयासों के जरिए मीडिया शिक्षा को और बेहतर करने के लिए प्रयत्न करेगा।