ये कैसी देश भक्ति, एक तरफ जहाँ चीनी उत्पादों के बहिष्कार के लिए देशभर में अभियान चलाया जा रहा है वहीँ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) द्वारा 19 सितंबर से दुबई में होने जा रहे रहे आईपीएल मैं चाइनीज मोबाइल कंपनी वीवो को प्रायोजक बनाए रखने का फैसला किया है।
इस पूरे मुद्दे पर देशभर के मीडिया घरानों के साथ-साथ नकली देशभक्त नेताओं का भी दोहरा चरित्र सामने आ गया है। कल तक चाइनीस कंपनियों के विज्ञापन बोर्ड तोड़ने वालों को, राष्ट्रभक्त बताने वाले नेता, इस फैसले पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं । गौरतलब है गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र जय शाह फिलहाल BCCI के सेक्रेटरी हैं। vo :- रिपोर्ट्स के मुताबिक रविवार को मुंबई में (बीसीसीआई) अध्यक्ष शशांक मनोहर की अध्यक्षता में हुई बोर्ड की कार्यसमिति की बैठक में इसका फैसला किया गया | विवो अगले 2 साल तक आईपीएल का टाइटल प्रायोजक होगा | स्पॉट फिक्सिंग के कारण आईपीएल की बदनामी के बाद पेप्सी कंपनी ने लीक से हटने की इच्छा जताई थी | विवो के लिए भी वही शर्ते होंगी जो पेप्सी के लिए थी | आईपीएल के टाइटल के लिए पेप्सी ने 2013 में 396.8 करोड़ की रकम दी थी | कोरोना के चलते इस बार यह आयोजन भारत के बजाय दुबई में हो रहा है। यह बात अलग है कि बीसीसीआई के इस निर्णय पर देशभर के मीडिया घरानों ने चुप्पी साध ली है। ईक्का दुक्का को छोड़ कर किसी भी अखबार या न्यूज़ चैनल को उठाकर देख लीजिए यह महत्वपूर्ण खबर कहीं नजर नहीं आएगी। मीडिया से यह खबर गायब होने के पीछे प्रमुख कारण गृह मंत्री अमित शाह के बेटे का बीसीसीआई का सेक्रेटरी होना तो नहीं है ? प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अमित शाह के भय से इस खबर पर बहस करने से बच रहे हैं। कुछ दिनों पहले भारत सरकार द्वारा 59 चाइनीस ऐप पर बैन लगाने को मास्टर स्ट्रोक बताने वाले आईटी सेल ने भी सोशल मीडिया पर चुप्पी साध ली है। हालांकि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) जैसे व्यापारिक संगठनों ने जरूर बीसीसीआई को पैसे का भूखा बताते हुए विदेश मंत्री जयशंकर और गृहमंत्री शाह को पत्र लिखा है। कांग्रेस जनरल सेक्रेट्री दिग्विजय सिंह ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मोदी-शाह पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह 20 सैनिकों की शहादत के साथ मजाक है। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि ओलंपिक और विम्बलडन जैसे अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन कोरोना के कारण रद हो गए है। लेकिन बीसीसीआइ अपनी जिद में आइपीएल दुबई में आयोजित करवा रहा है और वह चीनी कंपनी को प्रायोजक बनाया जा रहा है। इसलिए इस आयोजन की ही स्वीकृति नहीं मिलनी चाहिए। इससे देश के लोगों की भावनाओं को भी ठेस पहुंचेगा। बीसीसीआई के फैसले पर हैरानी जताते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने सोमवार को कहा कि लोगों को इस टी-20 क्रिकेट लीग का बहिष्कार करने पर विचार करना चाहिए।एसजेएम के सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने एक बयान में कहा कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) और आईपीएल की संचालन समिति ने चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए भारतीय सैनिकों का अनादर किया है। महाजन ने कहा, ‘‘जब देश अर्थव्यवस्था को चीनी प्रभुत्व से मुक्त बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है, सरकार चीन को हमारे बाजारों से दूर रखने के लिए सभी प्रयास कर रही है, ऐसे में आईपीएल यह फैसला देश की जनभावना के खिलाफ है।’’उन्होंने कहा कि लोगों को इस क्रिकेट लीग का बहिष्कार करने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने बीसीसीआई और आईपीएल के आयोजकों से चीनी कंपनियों के साथ बने रहने के फैसले पर विचार करने की सलाह देते हुए कहा कि देश की सुरक्षा और गरिमा से बढ़कर कुछ भी नहीं है। वीवो ने पांच साल के इस करार के लिए बीसीसीआई को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है। कैट द्वारा इन दिनों चीनी उत्पादों के बहिष्कार के लिए देशभर में अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में संगठन ने फैसला किया है कि इस साल त्योहारों में बाजारों में किसी भी प्रकार से चीनी उत्पाद देखने को नहीं मिलेंगे। रक्षाबंधन में चीनी राखियां नहीं मंगाई गई। कैट द्वारा देशभर के व्यापारियों से इसका डाटा भी तैयार करवाया qजा रहा है कि त्योहारों में कितना माल खपत होता है,उसके आधार पर देसी उत्पाद ही बाजार में बिके। इसके लिए कैट द्वारा चीनी उत्पादों के बहिष्कार में मास्क व ग्लास भी बांटे जा रहे है। मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा द्वारा भी ट्विटर पर विडियो जारी कर कहा कि विवो चाइनीस कंपनी है को क्रिकेट आईपीएल की प्रायोजक होंगी तो भारत वासियों को इसका बहिष्कार करना चाहिए
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