लगभग 1.75 करोड़ छोटे कारोबार बंद होने के कगार पर- CAAIT

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sadbhawnapaati
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भारत का घरेलू व्यापार कोविड-19 के कारण सदी के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। देश की अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से कोविड-19 से राहत पाने के लिए कोई समर्थन पैकेज न मिलने के कारण देश भर में लगभग 25 फीसदी छोटे कारोबारियों की लगभग 1.75 करोड़ दुकानें बंद होने के कगार पर हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए सबसे विनाशकारी होगा। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि कोरोना ने भारतीय घरेलू व्यापार का खून चूस लिया है, जो वर्तमान में अपने अस्तित्व के लिए कड़ा संघर्ष कर रहा है और हर प्रकार के कई हमले झेल रहा है। कोविड-19 से पहले के समय से देश का घरेलू व्यापार बाजार बड़े वित्तीय संकट से गुजर रहा और कोविड-19 के बाद के समय में व्यापार को असामान्य और उच्च स्तर के वित्तीय दबाव में ला दिया है।

केंद्र सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में छोटे व्यवसायों के लिए एक रुपये का भी प्रावधान नहीं था और न ही देश की किसी राज्य सरकार ने छोटे व्यवसायों के लिए कोई वित्तीय सहायता दी ही नहीं। भारत में 1.75 करोड़ दुकानें यदि बंद होती हैं तो इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों की व्यापारियों की पूरी तरह से उपेक्षा और उदासीनता जिम्मेदार होगी और निश्चित रूप से भारत में बेरोजगारी की संख्या में इजाफा होगा, जिससे जहां अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगेगा वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘लोकल पर वोकल’ और आत्मनिर्भर भारत को बड़ा नुकसान होगा। उन्होंने आगे कहा कि व्यापारियों पर केंद्र और राज्य सरकार के करों के भुगतान, औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों, ईएमआई, जल और बिजली के बिल, संपत्ति कर, ब्याज के भुगतान, मजदूरी के भुगतान से लिए गए ऋण की मासिक किस्तों के भुगतान को पूरा करने का बहुत बड़ा वित्तीय बोझ है। कैट ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से व्यापारियों के इस ज्वलंत मुद्दे का तत्काल संज्ञान लेने और व्यापारियों के लिए एक पैकेज नीति की घोषणा करने और उन्हें अपने व्यवसाय के पुनरुद्धार में मदद करने की नीति घोषित करने का आग्रह किया है।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।
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