आइए जानते हैं कैसे बनता है प्लास्टिक का अंडा

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sadbhawnapaati
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आजकल बाजार में नकली प्लास्टिक के अंडों की मौजूदगी से जुड़ी बहुत सारी खबरें आ रही हैं. इससे पहले अक्टूबर 2016 में भी यह खबर आई थी कि केरल के बाजारों में ये नकली अंडे बहुत बिक रहे हैं. कई लोग इन्हें ‘चाइनीज अंडे’ भी कह रहे हैं. इन अंडों को खाने से सेहत बनेगी तो नहीं, उल्टे बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है. आइए जानतें है कैसे बनते हैं ये अंडे और असली और नकली के बीच कैसे पहचाने अंतर-

कैसे बनता है प्लास्टिक का अंडा
सोडियम अल्जिनेट को गर्म पानी में मिलाकर फिर इस मिश्रण में जलेटिन, ऐलम और बेन्जोइक निश्चित अनुपात में मिलाया जाता है. इस मिश्रण से नकली अंडा तैयार किया जाता है. अंडे के पीले और सफेद हिस्से दोनों को बनाने में यही मिश्रण इस्तेमाल होता है. पीले हिस्से के लिए बस मिश्रण में थोड़ा पीला रंग भी मिला दिया जाता है. अंडे का छिलका बनाने के लिए कैल्शियम क्लोराइड का इस्तेमाल भी किया जाता है.

पहचानें असली और नकली का अंतर

देखने में असली और नकली अंडे एक जैसे दिखते हैं. देखकर इन दोनों के बीच का अंतर बता पाना बहुत मुश्किल है. हम आपको कुछ ऐसे आसान तरीके बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप असली और नकली अंडों की पहचान कर सकते हैं.

नकली अंडे का छिलका थोड़ा सख्त होता है. यह असली अंडे की तुलना में थोड़ा खुरदुरा भी होता है. इसके अलावा छिलके के अंदर एक रबरनुमा लाइनिंग भी होती है.

अगर आप एक नकली अंडे को हल्के से थपथपाते हैं, तो आपको जो आवाज सुनाई देगी, वह असली अंडे की तुलना में थोड़ी कम करारी होगी.

अगर आप अंडा तोड़कर इसे कुछ समय के लिए छोड़ देते हैं, तो अंडे का सफेद और पीला द्रव्य कुछ समय में एक-दूसरे के साथ मिल जाएंगे. ऐसा इसलिए कि वे दोनों एक ही पदार्थ से बने होते हैं.

नकली अंडे पक जाने पर भी पानी में नहीं डूबते हैं. अगर आप इन्हें कई दिनों तक बाहर खुले में भी छोड़ दें, तब भी इनमें ना तो मक्खियां लगेंगी और ना ही चीटिंया ही इनकी ओर आकर्षित होंगी.

जब आप नकली अंडे को तलते हैं, तो बिना छुए ही अंडे की जर्दी (पीला हिस्सा) फैल जाएगी। आमतौर पर जब आप असली अंडे को तलते हैं, तो इसका पीला हिस्सा पैन में डालने पर भी साबुत बना रहता है. इसे जबतक आप छुएं ना, तबतक यह फैलता नहीं है.

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