Loan पर क्या ब्याज पर ब्याज के हिसाब से वसूली की जाएगी ? Recovery | Loan Moratorium । Hiresh Pandey

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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लोन मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा-अपना रुख स्पष्ट करे सरकार, रिजर्व बैंक के पीछे न छुपे सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के प्रति सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि लोन मोरेटोरियम के मामले में वह अपना रुख स्पष्ट करने के लिए जल्द हलफनामा दे और रिजर्व बैंक के पीछे छुपकर अपने को बचाये नहीं. इस मामले में अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी. लोन मोरेटोरियम यानी कर्ज की किश्तें चुकाने के लिए मिली मोहलत के दौरान ब्याज माफी के अनुरोध वाली एक याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में चल रहनी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अर्थव्यवस्था में समस्या सरकार के लॉकडाउन की वजह से आई है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी पक्ष से कहा, ‘आपने कहा है कि रिजर्व बैंक ने इस बारे में निर्णय लिया है.

हमने इस बारे में रिजर्व बैंक का जवाब देखा है. केंद्र सरकार आरबीआई के पीछे छुप रही है.’ केंद्र पर सख्त टिप्पणी :- सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप सिर्फ व्यापार में दिलचस्पी नहीं ले सकते. लोगों की परेशानियों को भी देखना होगा. याचिकाकर्ता के वकील राजीव दत्त ने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार की तरफ से सुनवाई को बार-बार टालने की मांग और कोशिश की जा रही है.अभी तक कोई भी हलफनामा नही दाखिल किया गया है. कोर्ट के बार-बार कहने के बावजूद न तो केन्द्र ने, न ही RBI ने हलफनामा दाखिल किया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा कोई हल नहीं हो सकता जो एक तरफ से सब पर लागू हो जाए. जस्टिस अशोक भूषण ने कहा, ‘सरकार को आपदा प्रबंधन अधिनियम पर अपना रुख हमें बताना होगा. ये स्पष्ट करना होगा कि क्या ब्याज पर ब्याज के हिसाब से वसूली की जाएगी?’ जस्टिस भूषण ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि सरकार आरबीआई के पीछे नही छुप सकती. आपको हलफनामा दाखिल कर अपना स्टैंड बताना होगा. एफिडेविट में देरी क्यों कर रही सरकार :- इस बारे में केंद्र सरकार द्वारा एफीडेविट जमा करने में देरी पर सख्ती दिखाते हुए कोर्ट ने सितंबर के पहले हफ्ते तक इसे जमा करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि इस बारे में हमें एक स्पष्ट टाइमलाइन दें कि सरकार एफिडेविट कब दे रही है. वादी की तरफ से पेश हुए कपिल सिब्बल : – याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, ‘मोरेटोरियम की अवधि 31 अगस्त को खत्म हो रही है. 1 सितंबर के बाद इस तरह के कर्ज न चुकाने पर डिफॉल्ट मान लिया जाएगा. ये लोन एनपीए में बदल जाएंगे. यह एक बड़ा मसला है.’ सिब्बल ने कहा कि जब तक इन मसलों पर निर्णय नहीं हो जाता, मोरेटोरियम जारी रखना चाहिए. रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा है कि अगली तिमाही में भी हालत इसी तरह से खराब रहने वाली है. | मार्च में लागू हुआ था मोरेटोरियम :- दरअसल, कोरोना संकट की वजह से मार्च में लॉकडाउन लागू किया गया. लॉकडाउन की वजह से काम-धंधे बंद थे, बहुत से लोग लोन की EMI नहीं चुकाने की स्थिति में थे. जिसे देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आदेश पर बैंकों से EMI नहीं चुकाने के लिए 6 महीने की मोहलत मिल गई. लेकिन अब केंद्रीय बैंक से अपील की जा रही है कि मोरेटोरियम को आगे नहीं बढ़ाया जाए. कुछ लोग इसे आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. वहीं बड़ी संख्या में लोग इसे तुरंत खत्म करने के पक्ष में हैं. खासकर बैंक अब मोरेटोरियम को अगस्त से आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं है. फिलहाल 31 अगस्त तक लोगों को मोरेटोरियम का लाभ मिल रहा है.

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।
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