मध्यप्रदेश उपचुनाव में बयानों की सियासत – जयवर्धन के गद्दार वाले बयान पर भड़के सिलावट कही बड़ी बात

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मध्यप्रदेश में चुनावी जंग में विकास और आम लोगों की बात न होकर निजी हमले हो रहे हैं। पहली बार ‘गद्दार’ वाले बयान पर कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर आरोप लगाने में जुटे हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन के ज्योतिरादित्य सिंधिया को गद्दार कहने पर सांवेर से भाजपा के उम्मीदवार तुलसी सिलावट भड़क गए। तुलसी ने कहा, ‘आप (जयवर्धन) उम्र में छोटे हैं इसलिए अभी तक जवाब नहीं दे रहा था, लेकिन आज हद पार कर दी। दिग्गी के परिवार के अकबर से लेकर जाकिर नाइक तक के किस्से गिना दूं क्या?’

जयवर्धन ने सिंधिया को घेरा

जयवर्धन ने अपने ट्वीट में कहा, ‘सिंधिया के लिए सत्य के मायने अलग हैं। 1857 में जो गद्दारी की थी, उस समय उसको भी यह सत्य की जीत का नाम ही देते थे। जो सत्य था आज इतिहास उसका गवाह है। प्रदेश की 28 सीटों पर हार के डर से इमरजेंसी में दुगनी कीमत पर खरीदी की गई है। बस यही कहना चाहता हूं कि इतिहास घांस की रोटी खाने वालों के साथ खड़ा है।’

जयवर्धन ने कहा, ‘हताश, निराश गद्दारों को विश्वास हो गया है की वो चुनाव हार रहे हैं, इसलिए पैसा बांटने का आखिरी दाव चला जा रहा है। चुनाव आयोग भले ही धृतराष्ट्र बन जाए, पर ये जनता कृष्ण बनकर न्याय करेगी। महाराज छाती पीटकर लाल-पीले होकर तम तमा कर बोल रहे हो, चुनाव मैं लड़ रहा हूं। यह चुनाव मेरा है। सबको मालूम है कि यह चुनाव आपके व्यक्तिगत अहम के कारण ही प्रदेश को भोगना पड़ रहा है, जिस समय दुनिया कोविड से लड़ रही थी। आपने प्रदेश को चुनाव लड़ने पर मजबूर कर दिया

तुलसी का पलटवार

जयवर्धन के आरोपों पर भड़के तुलसी सिलावट ने कहा, ‘आप उम्र में छोटे हैं। इसलिए अभी तक जवाब नहीं दे रहा था। आपके पूर्वजों की देश और धर्म के साथ गद्दारी के किस्सों से रंगे पड़े हैं। एक शीर्षक है- मुगलों और अंग्रेजों के मुखबिर थे दिग्गी के पूर्वज। सच को खंडित नहीं किया जा सकता हुजूर। पहले मराठा युद्ध में गरीबदास की भूमिका को कैसे खंडित करेंगे?’ जाकिर नाइक जैसे दरिंदे को शांति दूत मानने को कैसे खंडित करेंगे? और हां शिवसेना के उद्धव जी ने जिन शब्दों के साथ आपके परिवार का आदर किया था। उनसे भी उसका खंडन करवाएंगे क्या?

बयान पर पलटवार करते हुए जयवर्धन ने कहा कि खंडन तो किया था, वो बात अलग है कि वो सामना में नही छप सकता है। हमारे यहां एक गांव है विजयपुर, जिसका नाम विजयपुर तात्या टोपे द्वारा अंग्रेजों पर विजय के उपरांत रखा गया था। उस युद्ध में हमारे पूर्वजों का भी सहयोग था। जीवित सबूत भी मौजूद है, ज्यादा जानकारी के लिए विजयपुर ही चले जाएं। संत पीपाजी हमारे पूर्वज हैं। हमारे परिवार के पास हिन्दूपत की उपाधि है। संत पीपाजी और हिन्दूपत के वारे में जानकारी प्राप्त कर लें इतिहास का पता चल जाएगा। इस पर तुलसी बोले, ‘पीपाजी का नाम लेकर मुगलों की और अंग्रेजों की मुखबिरी को जस्टिफाई करने की कोशिश मत कीजिए हुजूर। बात निकली है, तो बहुत दूर तक जाएगी।’

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।
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