मॉनसून सत्र : संसद में हंगामे के कारण कई बार कार्यवाही स्थगित, अब तक एक भी विधेयक नहीं हुआ पास, कामकाज घटकर 16.49 प्रतिशत रह गया

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New Delhi: A view of the Rajya Sabha during the inaugural day of the Winter Session, in New Delhi on Friday. PTI Photo/TV Grab(PTI12_15_2017_000025B)

नई दिल्ली। 18 जुलाई से शुरू हुआ मानसून सत्र सुचारू रूप से चल नहीं पा रहा है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में विपक्षी दलों के हंगामें के कारण कई बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी है। 18 जुलाई से 12 अगस्त तक चार सप्ताह तक चलने वाले मानसून सत्र के दो सप्ताह हो चुके हैं। इस बीच सामने आया है कि मानसून सत्र के दूसरे सप्ताह के दौरान राज्यसभा में कामकाज घटकर 16.49 प्रतिशत रह गया, जो पहले सत्र के दौरान 26.90 प्रतिशत था। सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस पर निराशा व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि ‘सदन की कार्यवाही में बाधा संसदीय लोकतंत्र का विनाश है।’

राज्यसभा में मात्र 11 घंटे 8 मिनट ही हुआ कामकाज

राज्यसभा सचिवालय के अधिकारियों ने बताया कि इस सत्र के पहले दो हफ्तों में सदन में कुल 21.58 फीसदी कामकाज हुआ है। राज्यसभा सचिवालय ने कहा कि अब तक राज्यसभा में 10 बैठकें हुईं है। इसमें निर्धारित 51 घंटे 35 मिनट में से 11 घंटे 8 मिनट ही कामकाज हुआ। अब तक राज्यसभा में 40 घंटे 45 मिनट का नुकसान हुआ है।

अब तक नहीं हुआ एक भी विधेयक पारित

राज्यसभा सचिवालय ने बताया कि चार हफ्ते तक चलने वाले मानसून सत्र के पहले दो हफ्तों के दौरान आठ दिनों में कोई विशेष चर्चा नहीं हुई। साथ ही छह दिनों में कोई प्रश्नकाल नहीं हुआ। सचिवालय ने यह भी बताया कि सामूहिक विनाश के हथियार विधेयक पर चर्चा के साथ ही अब तक कोई विधेयक पारित नहीं किया जा सका है।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।