जनसंख्या नियंत्रण, पैगंबर विवाद, कोरोना संकट, पर कही बात
नागपुर। महाराष्ट्र के नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय में दशहरा पर्व पर शस्त्र पूजा की गई। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दुनिया के उदाहरण पेश कर जनसंख्या असंतुलन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भारत को जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने महिला सशक्तिकरण सहित कई अहम मुद्दों पर भी चर्चा की।
उन्होंने कहा, जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ धार्मिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी बहुत जरूरी है, इस नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, जनसंख्या को संसाधन की जरूरत होती है। अगर यह संसाधन को बढ़ाए बगैर बढ़ेगी, तब बोझ बनेगी। उन्होंने कहा, यदि इसका सही इस्तेमाल हो तब यह साधन भी है।
संपत्ति भी है। किसी भी देश में 57 करोड़ युवाओं की संख्या नहीं है। हमारा पड़ोसी देश चीन बुजुर्ग हो चला है। लेकिन हमें विचार को समझना होगा।’ संघ प्रमुख ने कहा कि जनसंख्या को लेकर एक समग्र नीति बननी चाहिए और उसमें किसी को छूट नहीं मिलनी चाहिए। सभी पर समान रूप से नीति लागू होनी चाहिए। यदि कोई चीज लाभ वाली बात है, तब समाज आसानी से स्वीकार कर लेता है। लेकिन जहां देश के लिए छोड़ना पड़ता है, तब थोड़ी दिक्कत आती है।
कोरोना संकट से उबर रही भारतीय अर्थव्यवस्था
कोरोना संकट से बाहर आने के बाद हमारी अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे रास्ते पर आ रही है और वहां आगे जाएगी, इसकी भविष्यवाणी पूरी दुनिया के विशेषज्ञ कर रहे हैं। खेल क्षेत्र में भी बहुत सुधार हुआ है। खिलाड़ियों के प्रदर्शन से हमारा सीना गौरव से फूल जाता है।
कोरोना संकट से बाहर आने के बाद हमारी अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे रास्ते पर आ रही है और वहां आगे जाएगी, इसकी भविष्यवाणी पूरी दुनिया के विशेषज्ञ कर रहे हैं। खेल क्षेत्र में भी बहुत सुधार हुआ है। खिलाड़ियों के प्रदर्शन से हमारा सीना गौरव से फूल जाता है।
हमें प्रगति करनी है, तब स्वयं को जानना होगा। हमें परिस्थितियों के अनुकूल लचीला होना पड़ता है। हालांकि, हम ये देखना होगा कि कितना लचीला होना और किन परिस्थितियों में होना है। अगर वक्त की मांग के अनुसार खुद को नहीं बदलने वाले हैं, तब यह हमारी प्रगति का बड़ा बाधक साबित होगा।
समाज में समानता और सबको सम्मान का भाव रखना होगा
मंदिर, पानी, श्मशान नहीं सबके लिए समान हो, इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करनी ही होगी। ये घोड़ी चढ़ सकता है, वहां घोड़ी नहीं चढ़ सकता, ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें हमें खत्म करनी होंगी। सबको एक-दूसरे का सम्मान करना होगा। हमें समाज का सोचना होगा, सिर्फ स्वयं का नहीं।
मंदिर, पानी, श्मशान नहीं सबके लिए समान हो, इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करनी ही होगी। ये घोड़ी चढ़ सकता है, वहां घोड़ी नहीं चढ़ सकता, ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें हमें खत्म करनी होंगी। सबको एक-दूसरे का सम्मान करना होगा। हमें समाज का सोचना होगा, सिर्फ स्वयं का नहीं।
कोरोना काल में समाज और सरकार ने एकजुटता दिखाई,तब जिनकी नौकरी गई, उन्हें काम मिला। आरएसएस ने भी रोजगार देने में मदद की। उधर, सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि लोग बीमार ही नहीं हों। उपचार तब बीमारी के बाद होता है।