Editorial: ‘न भूतो न भविष्यति’  – उपेक्षा के उमेश

By
sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
3 Min Read

डॉ. देवेंद्र 

किसी से अपेक्षा रखना गलत है, पर उतना ही गलत है किसी की उपेक्षा करना| जब किसी योग्य व्यक्ति की उपेक्षा की जाती है तो वो पूरे समाज और एक बड़े वर्ग के कौशल पर चोट होती है| एक कर्ण की उपेक्षा ने उसे रण की दूसरी छोर पर खड़ा कर दिया. और महाभारत का संघर्ष बदल गया|

ऐसा ही कुछ अभी प्रदेश की राजनीति में हुआ, जब एक योग्य व्यक्ति को दरकिनार कर दिया गया| हम बात कर रहे है उमेश शर्मा की जो  बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता रहे और मध्यप्रदेश की राजनीती का एक मजबूत स्तम्भ भी; रविवार शाम को यह प्रखर व्यक्तित्व हमारे बीच से हमेशा के लिए चला गया।

संघ की परम्परा से जुड़े हुए उमेश भाजपा के उन कार्यकर्ताओं में से एक थे जिन्होंने पार्टी को घुटनों के बल चलते देखा, उन्होंने संघठन के निर्माण के लिए अपनी हर संभव कोशिश की, लेकिन अफ़सोस कि राजनितिक शतरंज पर उनकी सादगी थोड़ी फीकी रह गयी| उन्हें हमेशा ही उपेक्षित रखा गया कभी विधान सभा के और महापौर पद के प्रबल दावेदार रहे प्रखर प्रवक्ता उमेश हमेशा ही अपने उस उचित सम्मान से वंचित रहे जिसके वे हक़दार थे|

इंदौर में मुख्यमंत्री का एक कार्यक्रम था, जहाँ एक दसियों दिन पुरानी किताब का विमोचन होना था और एक ब्रिज का इनोग्रेशन;इनोग्रेशन का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया क्योंकि समंदर पार एक समय हम पर क्रूरतापूर्वक राज करने वाले साम्राज्य की महारानी का निधन हो गया, लेकिन किताब का विमोचन हुआ, परन्तु इस कार्यक्रम में उस कर्मठ कार्यकर्त्ता का जिक्र भी नही किया गया जिसने पार्टी को अपना अमूल्य समय दिया, जबकि सारे बड़े नेताओं को उनके निधन की खबर कार्यक्रम के दौरान ही आ गई थी लेकिन कार्यक्रम यथावत जारी रहा |

राजनीति में व्याप्त ये संवेदनहीनता बहुत ही घातक है, जो लोग अपने परिवार के अहम सदस्य की मौत से ऊपर अपने राजनीतिक दौरे और कार्यक्रम को रखते हैं वे केवल राजनीति कर सकते हैं राष्ट्रनीति और जनहित में कार्य नही|

उमेश हमेशा बीजेपी की राजनीति के मजबूत प्रवक्ता रहे जिनकी गिनती सत्यनारायण सत्तन के साथ होती रही, गुटबाजी के शिकार हुए उमेश का यूं असमय जाना हम सब की व्यक्तिगत क्षति मालूम होती है|लेकिन ये उन सारे नेताओं की आंक्षाओं पर एक तमाचा है जो निस्वार्थ भाव से एवं सादगी पूर्ण राजनीति करना चाहते हैं|

उमेश के जीवन काल में उन्हें वो उचित स्थान नहीं मिल पाया जिसको किसी तरह से न्यायसंगत करार दिया जा सकता हो, लेकिन किसी की मौत पर ये कृत्य बिलकुल भी क्षम्य नही है|
दैनिक सदभावना पाती परिवार उनकी असमय मृत्यु पर शोक जाहिर करता है एवं ऐसे निस्वार्थ, सरल और प्रखर नेता के लिए सिर्फ इतना ही कहना चाहता है ‘न भूतो न भविष्यति’

Share This Article
Follow:
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।