यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों को एनएमसी ने दी बड़ी राहत, भारतीय छात्रों को री-लोकेट की मिली मंजूरी

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राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग यूक्रेन में पढ़ रहे भारतीय मेडिकल छात्रों के संबंध में अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम के लिए अपनी अनापत्ति दे दी है। बशर्ते कि उम्मीदवारों को स्क्रीनिंग टेस्ट विनियम 2002 के अन्य मानदंड पूरे हों। नेशनल मेडिकल कमीशन ने एकेडमिक मोबिलिटी प्रोग्राम को एनओसी देते हुए अधिसूचना भी जारी कर दी है।

नेशनल मेडिकल कमीशन की ओर से कहा गया है कि यूक्रेन सरकार की ओर से अपने विश्वविद्यालयों के लिए तैयार किए गए एकेडमिक मोबिलिटी प्रोग्राम को विदेश मंत्रालय भारत सरकार के साथ विमर्श के आधार पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की ओर से अनापत्ति जारी कर दी गई है।

इसके तहत यूक्रेन के विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे मेडिकल छात्रों को उनकी पढ़ाई पूरी करने के लिए तात्कालिक आधार पर री-लोकेट किया जा सकेगा।


पढ़ाई पूरी होने पर डिग्री मूल यूनिवर्सिटी ही देगी
इसके तहत यूक्रेन में पंजीकृत भारतीय मेडिकल स्टूडेंट दुनियाभर के किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय में प्रवेश लेकर अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। हालांकि, पढ़ाई पूरी होने के बाद ऐसे विद्यार्थियों को डिग्री उनकी मूल यूनिवर्सिटी की ओर से ही दी जानी चाहिए।

नेशनल मेडिकल कमीशन ने अधिसूचना में आगे कहा कि आयोग इस संबंध में एकेडमिक मोबिलिटी प्रोग्राम को नो ऑब्जेक्शन जारी करता है। साथ ही यूक्रेन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों और संस्थानों और दूतावास को भी इस संबंध में अवगत कराया जा रहा है।

पूरा करना होगा स्क्रीनिंग परीक्षा का क्राइटेरिया
हालांकि, नेशनल मेडिकल कमीशन ने यह स्पष्ट किया है कि ऐसे सभी भारतीय छात्रों को भारत में अपनी आगे की मेडिकल पढ़ाई और मेडिकल क्लीनिकल प्रैक्टिस के लिए स्क्रीनिंग परीक्षा अर्थात फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम में भाग लेने और उसे क्वालीफाई करने संबंधित सभी मानदंडों को पूरा करना होगा।

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