नहीं मिले प्रशांत किशोर और कांग्रेस के हाथ

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सोनिया को सीधे रिपोर्ट, संगठन में सर्जरी, I-PAC का पेंच, ऐसे कुछ कारण रहे 

देश. तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में शामिल होने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है. राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ कई दौर की बातचीत के बावजूद पीके को कांग्रेस का ऑफर रास नहीं आया है.

प्रशांत किशोर के सुझावों पर रिपोर्ट देने के लिए सोनिया गांधी ने आठ वरिष्ठ नेताओं की एक कमिटी बनाई थी. इसमें प्रियंका गांधी, दिग्विजय सिंह, पी चिदंबरम, अम्बिका सोनी, रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक, जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल शामिल थे.

पीके के साथ विस्तृत चर्चा के बाद इस कमेटी ने सोनिया गांधी को एक रिपोर्ट सौंपी जिसके बाद आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सोनिया गांधी ने एक अधिकृत एक्शन ग्रुप बनाने का फैसला किया था. इसी ग्रुप का हिस्सा बनने का ऑफर पीके को दिया गया जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया.

पीके के कुछ प्रस्ताव थे अव्यवहारिक और अवसरवादी

हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि पीके अपने लिए क्या भूमिका चाहते थे. लेकिन सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस नेतृत्व के साथ पीके की किसी बड़े पद को लेकर बात चल रही थी इसीलिए महज एक कमिटी का सदस्य बनाए जाने का प्रस्ताव पीके को रास नहीं आया.

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सबसे बड़ा पेंच टीआरएस जैसे कांग्रेस के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के साथ पीके की कंपनी आइपैक का काम करना था. इसके अलावा राज्यों में गठबंधन को लेकर पीके के कुछ प्रस्ताव कांग्रेस नेताओं को अवसरवादी और अव्यवहारिक लगे. कांग्रेस के कुछ नेता पीके के हाथों में चुनाव की कमान दिए जाने के भी खिलाफ थे.

लंबे समय से कांग्रेस नेतृत्व के संपर्क में थे पीके

आपको बता दें कि हालिया विधानसभा चुनावों के बाद प्रशांत किशोर ने नए सिरे से कांग्रेस नेतृत्व के साथ बातचीत शुरू की थी और पार्टी में बड़े बदलावों को लेकर विस्तार से सुझाव दिए थे. इससे पहले पिछले साल के मध्य में भी पीके कांग्रेस नेतृत्व के संपर्क में थे.

कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार पीके कांग्रेस में शामिल होंगे और उन्हें महासचिव जैसा अहम पद देकर चुनावों की जिम्मेदारी संभालने को कहा जा सकता है क्योंकि सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पीके की प्रेजेंटेशन से प्रभावित थे.

सूत्रों के मुताबिक पीके ने कांग्रेस से लोकसभा की करीब 400 सीटों पर फोकस करने को कहा था, साथ ही संगठन और जन संवाद की रणनीति में बड़े बदलाव के सुझाव भी दिए थे. इसके अलावा राज्यों में गठबंधन को लेकर पीके ने विभिन्न प्रस्ताव दिए थे.

रणदीप सुरजेवाला ने किया था ये ट्वीट

पीके के साथ बात विफल रहने की जानकारी साझा करते हुए कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने बताया कि प्रशांत किशोर के सुझावों पर चर्चा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप का गठन करते हुए पीके को पार्टी में शामिल हो कर इस एक्शन ग्रुप (ईएजी) का सदस्य बनाए जाने का प्रस्ताव दिया जिससे उन्होंने इंकार कर दिया. हम उनके सुझावों की सराहना करते हैं.

इसके फौरन बाद प्रशांत किशोर ने भी बयान जारी करते हुए कहा कि उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने और चुनावों की जिम्मेदारी लेने के कांग्रेस के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. इसके साथ ही पीके ने तंज कसते हुए कहा कि मुझ से ज्यादा कांग्रेस को नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है ताकि वह बदलावों के जरिए बुनियादी समस्याओं को दूर कर सके.

मई में कांग्रेस आयोजित कर रही है चिंतन शिविर

देखना होगा कि पीके के साथ बात नहीं बनने के बाद कांग्रेस की आगे क्या रणनीति होगी? कांग्रेस मई के दूसरे हफ्ते में उदयपुर में चिंतन शिविर आयोजित करने जा रही है और उसके कुछ महीनों बाद नए अध्यक्ष का चुनाव होना है. गौरतलब है कि पार्टी में बड़े बदलावों की मांग कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता पहले ही कर चुके हैं.

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