‘शिवसेना का ही नहीं, देश में लोकतंत्र का भविष्य दांव पर’ – उद्धव ठाकरे ने किये एक बयान से कई शिकार

sadbhawnapaati
4 Min Read

National News – महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा है कि केवल  शिवसेना  का ही नहीं, बल्कि देश में लोकतंत्र का भी भविष्य दांव पर लगा है। उन्होंने कहा कि शिवसेना के खत्म हो जाने की बातों के बीच भी लोग उनके पास आ रहे हैं और उनसे जुड़ रहे हैं। पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने यह बातें गुरुवार को मुंबई के दादर इलाके में शिवसेना भवन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहीं।

इस कार्यक्रम में ठाकरे ने यवतमाल से पूर्व मंत्री संजय देशमुख को अपने गुट में शामिल किया। गौरतलब है कि अपने पिता दिवंगत बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना की विरासत पर दावा करने के लिए उद्धव टाकरे अब कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

उद्धव ठाकरे ने साधा निशाना
संजय देशमुख को अपने गुट में शामिल कराने के बाद अपने संबोधन में पूर्व सीएम ने कहा कि न केवल पार्टी का भविष्य बल्कि देश का लोकतंत्र भी दांव पर लगा है। उन्होंने शिंदे सरकार और भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा  कि मेरा और मेरी पार्टी का भविष्य जनता और पार्टी कैडर तय करेंगे। अपने संबोधन में उन्होंने आगे कहा कि जो भी हुआ उससे आम आदमी और खासकर सभ्य लोग सहमत नहीं हैं और अब वे अपना समर्थन दे रहे हैं। वे मुझसे कहते हैं कि हार मत मानो, लड़ो, हम आपके साथ हैं।

इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों के बारे में मैंने सोचा था कि वे कभी राजनीतिक रूप से करीब नहीं होंगे, वे समर्थन में आ रहे हैं। इसी तरह, विभिन्न धर्मों और क्षेत्रों के लोग समर्थन दे रहे हैं। यह सिर्फ शिवसेना का भविष्य नहीं है, बल्कि देश का लोकतंत्र दांव पर है। लोगों को खुद से यह पूछने की जरूरत है कि क्या लोकतंत्र जिंदा रहेगा या वे वापस गुलामी में चले जाएंगे।

जून में गिर गई थी सरकार
गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार इसी साल जून में विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी में विद्रोह के बाद गिर गई थी। कई दिनों तक चले सियासी ड्रामे के बाद एकनाथ शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद दोनों गुटों के बीच पार्टी के नाम और चुनाव निशान को लेकर विवाद हुआ और मामला चुनाव आयोग और फिस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

इसी बीच, चुनाव आयोग ने इस महीने की शुरुआत में ठाकरे और शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुटों को 3 नवंबर को अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के नाम और उसके चुनाव चिह्न ‘धनुष और तीर’ का उपयोग करने से रोक दिया था।

बाद में आयोग ने ठाकरे गुट के लिए पार्टी के नाम के रूप में ‘शिवसेना – उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ और शिंदे समूह के नाम के रूप में ‘बालासाहेबची शिवसेना’ (बालासाहेब की शिवसेना) को आवंटित किया। इतना ही नहीं आयोग मे दोनों गुटों को अलग-अलग चुनाव निशान भी दिए हैं।

कौन हैं देशमुख यवतमाल  जो उद्धव गुट में शामिल हुए
गुरुवार को ठाकरे गुट में शामिल हुए देशमुख यवतमाल के दिगरास से दो बार विधायक रहे हैं। वह पहले शिवसेना के साथ रहे थे और 2002 और 2004 के बीच कांग्रेस के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार में मंत्री के रूप में भी काम किया था। वह कुछ समय के लिए भाजपा के साथ भी थे।

Share This Article