प्रतिबंध के बाद भी बिक रहीं पीओपी प्रतिमाएं

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sadbhawnapaati
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मां नर्मदा में मिलेंगे जहरीले रसायन

जबलपुर। 
पर्यावरण संरक्षण एवं मां नर्मदा को प्रदूषण से बचाने कई बार पहल हुई. शासन प्रशासन की सतह पर योजनाएं बनीं लेकिन ठंडे बस्ते में चली गर्इं. हालत यह है की प्रशासन माननीय न्यायालय के आदेशों का परिपालन कराने में दिलचस्पी नहीं लेता. यही हाल गणेश उत्सव की तैयारियों में नजर आ रहा है. जहां पीओपी की गणेश प्रतिमाएं प्रतिबंधित होने के बाद भी धड़ल्ले से बन और बिक रही हैं.
गौरतलब है की मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश कृष्ण कुमार लाहोटी की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने कई वर्ष पूर्व एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्लास्टर ऑफ पेरिस यानी पीओपी के गणेश आदि विग्रहों के पुण्य सलिला नर्मदा आदि नदियों में विसर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इसके बावजूद पीओपी के गणेश विग्रहों के निर्माण व क्रय-विक्रय पर ठोस लगाम लगाने में प्रशासन दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. जिससे पर्यावरण प्रदूषण की समस्या अपनी जगह बनी हुई है.
३१ अगस्त को जिले में गणेश चतुर्थी मनाई जानी हैं. लेकिन आलम यह है की शहर की सड़कों पर इस वर्ष भी गणेश चतुर्थी से बाजार में के गणेश सड़क किनारे छोटी-बड़ी दुकानों में नजर आ रहे हैं.
हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी प्रशासन इन पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम नहीं उठा रहा. जिसके नतीजे में अनंत चतुर्दशी के दिन नर्मदा सहित जिले की नदियों में पीओपी के विग्रहों का विसर्जन किया जाएगा. इस तरह नर्मदा के जल में इन पीओपी के विग्रहों से निकलने वाला रसायनिक जहर घुल जाएगा।

जलीय जीवन के लिए बेहद खतरनाक

पर्यावरणविदों के अनुसार पीओपी जलीय जीवन के लिए बेहद खतरनाक होता है। पीओपी का मूल तत्व प्लास्टर तो जल के मूलभूत स्वरूप में परिवर्तन लाकर उसे प्रदूषित करता ही है, साथ ही इन विग्रहों को रंगने वाले रासायनिक रंग भी जल में घुलकर मछलियों व उस जल का उपयोग करने वाले मनुष्यों आदि के लिए बीमारी का सबब बनता है।
लगाई जाएगी कार्यशाला
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी, डॉ.आलोक जैन, गणेश उत्सव के शुभारंभ से पूर्व से ही हमारी टीम शहर में जागरूकता प्रसारित करने में जुटी है।
इसके तहत निरीक्षण जारी है। ३० अगस्त को कार्यशाला भी लगाई जाएगी। इसके जरिये माटी की प्रतिमाओं से होने वाले पर्यावरणीय फायदे व पीओपी के विग्रहों से होने वाले नुकसान के बारे में अवगत कराया जाएगा।
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।